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गुरूकुल मढ़िया जी जबलपुर, जैन महिलाश्रम सागर, प्राचीन जैन गुरूकुल बड़ागाँव (उ.प्र.) आदि प्रमुख हैं। इन सभी संस्थाओं से हजारों देशवासी लाभ उठा रहे हैं।
गणेश प्रसाद वर्णी की भाँति ही ब्रह्मचारी सीतलप्रसाद ने भी देश के सामाजिक क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कार्य किये। उन्होंने भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के प्रचार हेतु कन्याकुमारी से कश्मीर तक व्यापक भ्रमण किया। उन्होंने शहरों में ही नहीं देहातों में भी जागृति का मंत्र फूंका। लखनऊ निवासी ब्रह्मचारी सीतल प्रसाद ने पूरे संयुक्त प्रान्त में अनेक सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं की स्थापना करायी। इस प्रकार उत्तर प्रदेश के जैन समाज ने देश के सामाजिक विकास में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
राजनीतिक विकास में योगदान जैन समाज के व्यक्ति अपने संस्कारों के कारण राष्ट्रीय दृष्टिकोण रखते हैं। भारत देश उनकी मातृभूमि और धर्मभूमि है। जैन मूलतः भारतीय है। भारत के बाहर उनका कोई तीर्थ क्षेत्र नहीं है, न ही किसी जैन महापुरुष की समाधि है। जैन समाज के नागरिक प्रतिदिन निम्न स्त्रोत का पाठ करते हैं
संपूजकानां प्रतिपालकानां, यतीन्द्र-सामान्य-तपोधनानाम्। देशस्य राष्ट्रस्य पुरस्य राज्ञः, करोतु शांतिं भगवान् जिनेन्द्रः ।। क्षेमं सर्वप्रजानां, प्रभवतु बलवान् धार्मिकों भूमिपालः। काले-काले च सम्यग्वर्षतु मधवा व्याधयो यांतु नाशम् ।।
इसका अर्थ है कि - हे परमात्मा! आप देश, राष्ट्र, प्रजा और राजा सभी को । सदा शांति प्रदान करें। सभी प्रजा का कुशल हो, राजा बलवान और धर्मात्मा हो, बादल समय-समय पर वर्षा करें, सब रोगों का नाश हो, संसार के प्राणियों को एक क्षण भी कष्ट न हो. सम्पर्ण देश में सख शांति रहे।
जैन समाज के व्यक्ति का जीवन इसी उदात्त भावना से अनुप्रेरित रहता है। देश पर जब कभी भी संकट आया उस समय जैन समाज ने आगे बढ़कर देश का साथ दिया। अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध लड़े गये भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में भी जैन समाज ने अपनी जनसंख्या के अनुपात से कहीं अधिक बढ़-चढ़कर भाग लिया। उत्तर प्रदेश के जैन समाज ने 1919 से लेकर 1947 के दौरान राष्ट्रीय आन्दोलन में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। गाँधी जी द्वारा चलाये गये असहयोग आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन और भारत छोड़ो आन्दोलन में जैन नागरिकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और जेलों की यात्रायें की, जिनका विस्तारपूर्ण वर्णन आगामी अध्यायों में किया गया है। जैन समाज के कई नागरिकों ने इस दौरान विभिन्न राजनैतिक पदों पर रहकर प्रदेश एवं देश की सेवा की।
38 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान