________________
आगरा के जैन समाज ने असहयोग आन्दोलन में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। बाबू चाँदमल जैन, अचलसिंह जैन, मानिकचंद जैन, महेन्द्र जैन आदि अनेक जैन बन्धओं ने आगे आकर जैन समाज को असहयोग आन्दोलन से जोडा। उनके द्वारा विदेशी वस्त्रों को त्यागकर स्वदेशी वस्त्र अपनाने का आह्वान किया गया। जैन मंदिरों ने भी समर्थन जुटाने तथा असहयोग आन्दोलन को मजबूत बनाने के प्रयास किये।
'आज' में समाचार था-'स्वदेशी कपड़ा' (शीर्षक), 'लियागंज में कल एक सभा हुई। 50-60 जैनी उपस्थित थे। पंडित चिरंजीलाल जैन ने प्रस्ताव किया कि मंदिर में विदेशी कपड़े न लाये जायें। स्वदेशी वस्त्रों का ही उपयोग किया जाये। लाला हजारीलाल जैन, लाला बाबूलाल जैन, बाबू मोतीलाल जैन आदि के भाषण हुए।36
बाबू चाँदमल जैन एक समर्पित कार्यकर्ता थे, जिन्होंने असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ होते ही अपनी वकालत छोड़ दी। इसकी पुष्टि तत्कालीन समाचार पत्र की सुखियों से होती है- 'वकालत छोड़ी' (शीर्षक) यहाँ के एक जैन वकील बाबू चाँदमल जैन ने असहयोग सिद्धान्त के अनुसार वकालत छोड़ दी है। अब वे कोई नया मुकदमा नहीं लेते।” चाँदमल जैन असहयोग आन्दोलन के दौरान जिला कांग्रेस कमेटी के सभापति रहे। 'आज' समाचार पत्र ने लिखा-'जिला कमेटी का चुनाव' (शीर्षक) जिला कमेटी का चुनाव बहुत शांति के साथ पूर्ण सफलता पूर्वक हो गया। सभापति लाला चाँदमल जैन (पूर्व वकील), उप सभापति इमाम साहब व सेठ अचल सिंह जी...चुने गये। चुनाव के दिन तहसीलों के प्रायः सभी सदस्य उपस्थित थे।
कांग्रेस के सभापति रहते हुए चाँदमल जैन ने आगरा में घर-घर आन्दोलन का संदेश पहुँचाया। एक बार श्री जैन बाजार में घूम रहे थे, कि उन्होंने देखा कि एक अंग्रेज सिपाही एक व्यक्ति को कोड़े मार रहा है। उन्होंने तत्काल उस अंग्रेज का विरोध किया। अंग्रेज सिपाही क्रोधित हो गया और उसने उन्हें ही हंटरों से पीटना शुरू कर दिया। घायल चाँदमल जैन को वहीं छोड़कर अंग्रेज सिपाही आगे बढ़ गया। इसी प्रकार अन्य प्रकरणों में भी उन्होंने संघर्ष किया। नाराज ब्रिटिश अधिकारियों ने इन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया तथा कड़ी कैद के बीच रखा।
तत्कालीन पत्र 'आज' प्रत्येक गतिविधियों की खबर रखता था, उसने ‘आगरे में गिरफ्तारियाँ और सजाएँ' शीर्षक से लिखा-12 फरवरी को 2 बजे लाल कटी में 5 स्वयंसेवक पकड़े गये। वे लोग 14 फरवरी को सेन्ट्रल जेल भेजे गये और 15 फरवरी को उनका मुकदमा हुआ और प्रत्येक को 300-300 की दो जमानत देने तथा 509 का मुचलका लिखने को कहा गया, ऐसा न करने पर स्वयंसेवकों को धारा 108 के अनुसार एक साल की कड़ी कैद भुगतनी पड़ेगी। आगरा कांग्रेस कमेटी के सभापति चाँदमल जैन और प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी के सदस्यों का मुकदमा 15 फरवरी को मजिस्ट्रेट की अदालत में हुआ और उन लोगों को 6-6 माह की कड़ी सजा
54 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान