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प्रस्तावना
27 कमल के समान गन्ध वाली हो और जहाँ प्रायः कोयल आया-जाया करती हों और गोहद ने अपना निवास बनाया हो, इस प्रकार की भूमि में नीचे स्वर्णादि द्रव्य रहते हैं। दूध के समान गन्ध वाली भूमि के नीचे रजत, मधु और पृथ्वी के समान गन्ध वाली भमि के नीचे रजत और ताम्र, कबूतर की बीट के समान गन्ध वाली भूमि के नीचे पत्थर और जल के समान गन्धवाली भूमि के नीचे अस्थियां निकलती हैं । जिस भूमि का वर्ण सदा एक तरह का नहीं रहे, निरन्तर बदलता रहे और मट्ठा के समान गन्ध निकले उस भूमि के नीचे सोना या रत्न अवश्य रहते हैं। कदली वृक्ष के क्षार के समान जहाँ से गन्ध निकलती हो तथा मधुर रस हो, उस भूमि के नीचे रजत --चाँदी या चांदी के सिक्के निकलते हैं।
छिन्न निमित्त-वस्त्र, शस्त्र, आसन और छत्रादि को छिदा हुआ देखकर शुभाशुभ फल कहना छिन्न निमित्त ज्ञान के अन्तर्गत है। बताया गया है कि नये वस्त्र, आसन, शय्या, शस्त्र, जूता आदि के नौ भाग करके विचार करना चाहिए । वस्त्र के कोणों के चार भागों में देवता, पाशान्त-मूल भाग के दो भागों में मनुष्य और मध्य के तीन भागों में राक्षस बसते हैं। नया वस्त्र या उपर्युक्त नयी वस्तुओं में स्याही, गोबर, कीचड़ आदि लग जाय, उपर्युक्त वस्तुएँ जल जायें, फट जायं, कट जायें तो अशुभ फल समझना चाहिए। कुछ पुराना वस्त्र पहनने पर जल या कट जाय तो सामान्यतया अशुभ होता है । राक्षस के भागों में वस्त्र में छेद हो जाय तो वस्त्र के स्वामी को रोग या मृत्यु होती है, मनुष्य भागों में छेद हो जाने पर पुत्र-जन्म होता है तथा वैभवशाली पदार्थों की प्राप्ति होती है। देवताओं के भागों में छेद होने पर धन, ऐश्वर्य, वैभव, सम्मान एवं भोगों की प्राप्ति होती है। देवता, मनुष्य और राक्षस इन तीनों के भागों में छेद हो जाने पर अत्यन्त अनिष्ट होता है।
कंकपक्षी, मेढक, उल्लू, कपोत, काक, मांसभक्षी गृध्रादि, जम्बुक, गधा, ऊँट और सर्प के आकार का छेद देवता भाग में होने पर भी वस्त्र-भोक्ता को मृत्यु तुल्य कष्ट भोगना पड़ता है । इस प्रकार के छेद होने से धन का विनाश भी होता है। देवता भाग के अतिरिक्त अन्य भागों में छेद होने पर तो वस्त्र-भोक्ता को नाना प्रकार की आधि-व्याधियाँ होने की सूचना मिलती है। अपमान और तिरस्कार भी अनेक प्रकार के सहन करने पड़ते हैं। छत्र, ध्वज, स्वस्तिक, बिल्वफल–बेल, कलश, कमल और तोरणादि के आकार का छेद राक्षस भाग में होने से लक्ष्मी की प्राप्ति, पद-वृद्धि, सम्मान और अन्य सभी प्रकार के अभीष्ट फल प्राप्त होते हैं।
वस्त्र धारण करते समय उसका दाहिना भाग जलजाय या फट जाय तो वस्त्रभोक्ता को एक महीने के भीतर अनेक प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। बायें कोने के जलने या कटने से बीस दिन में घर में कोई न कोई आत्मीय