Book Title: Anandrushi Abhinandan Granth
Author(s): Vijaymuni Shastri, Devendramuni
Publisher: Maharashtra Sthanakwasi Jain Sangh Puna
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शुभकामना
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( १६ )
[भू०पू० राष्ट्रपति श्री वी० वी० गिरि का संदेश ]
राष्ट्रपति सचिवालय राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली ४ दिसम्बर, १९७३
प्रिय महोदय,
यह जान कर प्रसन्नता हुई कि जैन आचार्य श्री आनन्दऋषिजी अगले ७५ वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं और इस उपलक्ष में आपने उनका सार्वजनिक अभिनन्दन कर उन्हें एक अभिनन्दन ग्रन्थ समर्पित करने का आयोजन किया है। आपके इस प्रयास की सफलता के लिए राष्ट्रपतिजी अपनी शुभ कामनाएं भेजते हैं ।
खेमराज गुप्त
राष्ट्रपति का उप-सचिव
[भू० पू० उपराष्ट्रपति श्री गोपालस्वरूप पाठक का सन्देश ]
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उपराष्ट्रपति सचिवालय
नई दिल्ली १० दिसम्बर, १६७३
प्रिय महोदय,
अवसर पर उन्हें एक
उपराष्ट्रपति जी को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आप आचार्य श्री आनन्द ऋषि जी के ७५वें जन्म दिवस के अवसर पर उनका सार्वजनिक अभिनन्दन करने जा रहे हैं और इस अभिनन्दन ग्रन्थ भी भेंट करने का निश्चय किया गया है । उपराष्ट्रपति जी अभिनन्दन समारोह तथा ग्रन्थ की सफलता के लिए अपनी हार्दिक शुभ कामनायें भेजते हैं ।
- वि० के० एस० अय्यंगार
भारत के उपराष्ट्रपति के निजी सचिव
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