________________
अमर-डायरी
कवि श्री जी का चिंतन एवं विश्लेषण सर्वग्राही होता है। उनके विचारों के स्फुलिंग जब प्रकट होते हैं तो जीवन के त्रिकोणों में छिपे बैठे अन्धकार को उज्ज्वल प्रकाश में बदल देते हैं।
उनके चिंतन में मौलिकता है, तीखापन है और माधुर्य भी है। उनके चिन्तन सूत्र जीवन के सत्यों को छूने वाले हैं, विचारों को झनझनाने वाले हैं, और मन को लुभाने वाले भी हैं। कुल मिलाकर उनके विचार मिश्री की वह डली है जो वजनदार होते हुए भी मधुर है और मधुर होते हुए भी प्रहारक है।
डायरी लिखने की एक विशिष्ट शैली है उनकी अपनी । कहीं चिन्तन सूत्र रूप में हैं तो कहीं भाष्य रूप में। कहीं उनका अपना स्वतंत्र चिन्तन है, तो कहीं किसी मनीषी के द्वारा अभिव्यक्त चिन्तन को भी उटूंकित कर शाश्वत सत्य का स्वागत कर लिया गया है। कहीं-कहीं मौलिक चिन्तन को सूत्र रूप में अंकित करते-करते, वे उसे किसी विशिष्ट चरित्र के माध्यम से भी अभिव्यक्त कर गए हैं। वस्तुत: उपाध्याय श्री जी की दैनन्दिनी फूलों की वह माला है, जिसमें अनेक विध रंग-बिरंगे फूल हैं, और हर फूल अपनी एक खास मोहक सुगन्ध लिए हुए है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org