Book Title: Amar Diary
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 182
________________ मैं नहीं समझ पाया कि आपका जीवन क्या, बिल्ली कुत्तों या गधों के हाथ में है या आकाश के ग्रह-नक्षत्रों से संचालित हो रहा है ? एक परिवार में बहुत इन्तजार के बाद लड़का हुआ। घर में हर्ष छा गया, बाजे बजने लगे, गीतों की ध्वनियाँ वायु-मंडल में गूंजने लगी, बधाइयाँ आने लगी। परन्तु वह पिता ज्यों ही ज्योतिषी जी को ग्रह दिखाने पहुँचा, उसके चहरे का रंग उड़ गया । ज्योतिषी ने बतलाया — और तो सब ठीक है, बालक की जीवन रेखा पर मृत्यु योग पड़ा है, यदि वह सोलह वर्ष को पार कर जाए, तब तो ठीक है, अन्यथा जीवित रहना कठिन है।' यह वाक्य सुनते ही सन्नाटा छा गया, उसका आनन्द-उल्लास गायब हो गया । एक दिन वह भाई दर्शन करने आया, तो मैंने पूछा- 'क्या बात है, उदासी क्यों है ?' उक्त भाई ने सारी कथा कह सुनाई। मैंने कहा— 'कौन कह सकता है कि भविष्य में क्या होगा, सब आयुष्कर्म का खेल है, किन्तु तुम क्या सोलह वर्ष तक ऐसे ही रोते-रोते इसका पालन-पोषण करोगे ? इसके विषय में जब भी सोचोगे, क्या मौत को सामने रख कर ही सोचोगे ?' हाँ, तो मैं कह रहा था— ज्योतिष और शकुन जीवन में आनन्द तो कम पैदा करते हैं, गड़बड़ाते अधिक हैं। मनुष्य भी झट से उनके चक्कर में आ जाता है और आत्मविश्वास खो बैठता है। जब तक वह अपने आप पर विश्वास करके नहीं चलेगा, अपनी तकदीर को मुट्ठी में लेकर नहीं चलेगा, तब तक उसके जीवन में व्यवस्था, आनन्द और उल्लास नहीं आएगा । महावीर का सन्देश श्रमण-संस्कृति के अमर देवता भगवान महावीर का सन्देश है कि क्रोध को क्षमा से जीतो, अभिमान को नम्रता से जीतो, माया को सरलता से जीतो, और लोभ को सन्तोष से जीतो । जब हमारा प्रेम विद्वेष पर विजय प्राप्त कर सके, हमारा अनुरोध विरोध को जीत सके, और साधुता को झुका सके, तभी इस धर्म के सच्चे अनुयायी, सच्चे मानव बन सकेंगे। अमर डायरी Jain Education International For Private & Personal Use Only 173 www.jainelibrary.org

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