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इस प्रकार तुम मर कर भी अमर बन जाओगे !
वह मरना ही क्या, जो, दूसरों को भी उसी प्रकार मरने की सहज प्रेरणा न दे । अपनी मृत्यु से कर्तव्य मार्ग पर वह स्वर्ण रेखा खींच डालो कि आने वाली पीढी उसी रेखा (लकीर) के सहारे आगे बढ़ सके ।
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प्रेम और सेवा के क्षेत्र में किसी प्रकार की सीमा नहीं होती । बन्धन और भेद नहीं होते ।
देश, जाति और धर्म की सीमा बाँधकर उसकी महानता का अपमान मत करो । उसकी पवित्रता को कलंकित मत करो ।
सीमित स्नेह — 'मोह' होता है । असीम स्नेह - 'प्रेम ।'
मोह और प्रेम की भेद रेखा को समझ कर कर्तव्य का निर्णय करो ।
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अपसाहस या दुस्साहस पशुता है, सत्साहस मानवता । साहस में जब विवेक का पुट लगता है, तब वह सत्यसाहस कहलाता है ।
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जीवन में धन और वैभव होना ही सब कुछ नहीं है। जीवन में यदि प्रेम की सरसता नहीं मिली है, तो, धन वैभव बिना नमक की रोटी की तरह स्वादहीन है ।
एक बार अमेरिका के प्रख्यात धन कुबेर और फोर्ड मोटर कंपनी के मालिक हेनरी फोर्ड से एक जिज्ञासु विद्यार्थी ने पूछा - " आपके घर में ऐश्वर्य का अम्बार लगा है, जो चाहे वह प्राप्त कर सकते हैं, तो क्या वस्तुतः अब आपको जीवन में किसी चीज की कमी खटकती है ?”
फोर्ड ने कहा -“हाँ भाई, श्रीमान् होने के बाद मुझे एक चीज की कमी बेहद खटकती है । "
अमर डायरी
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