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और छत्ते के मोम से बनी मोमबत्ती के रूप में व्यक्त होकर वह प्रकाश भी देती है।
साधक मधुमक्खी के समान है। वह विभिन्न परम्पराओं और विभिन्न शास्त्रों का रस लेकर मधु के रूप में समाज को बोध का मिठास देता है और अपने जीवन के सत्कर्मों द्वारा समाज को प्रकाश भी देता है।
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विजय प्राप्त करने के लिए साधन-सम्पन्नता की, उतनी जरूरत नहीं, जितनी
की दृढ़ संकल्प की है ।
जिसके पास संकल्प का बल है, उसके पास साधन आ ही जुटते हैं ।
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शरम है बड़ी, लक्ष्य से फिर गए हो, महावीर - आदर्श से गिर गए हो। भला पुत्र वे जग में कैसे बड़े हों, पिता के शुभादर्श से जो गिर गए हों।
'अमर-माधुरी' से
नया वर्ष, नयी उमंग और नया उत्साह लेकर आया है। भविष्य की सुन्दर योजनाएँ एवं उज्ज्वल सम्भावनाएँ इसके गर्भ में छिपी हैं, अतः शुभसंकल्प की लौ प्रज्ज्वलित करो और भविष्य को सुखद सुन्दर एवं मंगलमय बनाने के लिए उद्यत हो जाओ ।
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आज देश में द्वेष, घृणा और भेद-भाव की जहरीली हवाएँ चल रही हैं, वातावरण विषाक्त हो रहा है। शासन घृणा, द्वेष और भेद पैदा करने वाले तत्वों पर प्रतिबन्ध लगाने का जी तोड़ प्रयत्न कर रहा है, किन्तु फिर भी वे तत्व अधिक सक्रिय हो रहे हैं ।
अमर डायरी
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