Book Title: Amar Diary
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 119
________________ यह देखो, एक पाषाणखण्ड पड़ा है, इसमें भी गहरी शान्ति है, समदर्शिता भी है, किसी से कुछ भी अपेक्षा नहीं, इसे कोई भी भला-बुरा दृश्य प्रभावित नहीं कर सकता, कोई भी अनुकूल-प्रतिकूल वातावरण उसको चंचल नहीं बना सकता। क्या पाषाण खण्ड की यह शान्ति सच्ची शान्ति है? क्या यह जीवित शान्ति है? नहीं ! वह शान्ति नहीं, निष्क्रियता है, जड़ता है। वह जड़ शान्ति है, जड़ समदर्शिता है। ___ तुम अनन्त शक्ति सम्पन्न चैतन्य देव हो, तुम्हें यह जड़ शान्ति, जड़ समदर्शिता नहीं चाहिए। तुम्हारा ध्येय वह जीवित शान्ति एवं जीवंत समदर्शिता है, जिसमें विश्व के मंगल एवं कल्याण का स्वर मुखरित हो रहा है, विकास का अभियान चल रहा है। __110 110 अमर डायरी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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