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अगले दिन लड़का स्कूल पहुँचा और अध्यापक ने कल का पाठ पूछा तो उसने बताया कि-सूर्य घूमता है, पृथ्वी स्थिर है। यह सुनते ही मास्टर ने एक तमाचा लगा दिया कि-मूर्ख ! छोटा-सा पाठ भी याद नहीं रहा-बोलो-पृथ्वी घूमती है, सूर्य स्थिर है। .
दोनों जगह तमाचे पड़ने लगे तो बालक असमंजस में पड़ गया। आखिर उसने अपना एक नया सिद्धान्त ही बना डाला। __कुछ दिनों बाद स्कूल में इन्सपैक्टर आया और परीक्षा के प्रश्नों में उस लड़के से यही प्रश्न पूछ लिया-बताओ ! पृथ्वी और सूर्य दोनों में से कौन घूमता है ? लड़के ने उत्तर दिया-स्कूल में पृथ्वी घूमती है, सूर्य स्थिर है, और घर पर सूर्य घूमता है, पृथ्वी स्थिर है।।
इन्सपैक्टर हँसा, साथ में चकराया भी; यह क्या मामला है ?
लड़के ने समझाया-घर में तो यह कहने पर पिटाई होती है कि-पृथ्वी घूमती है, सूर्य स्थिर है, और यह कहने पर स्कूल में मरम्मत होती है-सूर्य घूमता है, पृथ्वी स्थिर है।
आपको भी हँसी आ रही है, किन्तु बताइये कि बेचारा बालक क्या करे, वह स्कूल और घर के दो पाटों के बीच पिसा जा रहा है।
समाज और राष्ट्र के जीवन में आज यह दुहरा व्यक्तित्व बन रहा है। पिता अपने लड़कों से कहता है-कभी झूठ मत बोलो, किन्तु उन्हीं के सामने वह बड़ी लम्बी चौड़ी झूठ हाँकता है । अध्यापक सिखाता है-बीड़ी-सिगरेट मत पीओ, किन्तु यह पाठ पढाते हुए वह मुँह से सिगरेट का धुंआ निकाल रहा है।
आदर्श और व्यवहार की इस भेद-रेखा ने आज जीवन को बाँट दिया है, अलग-अलग कर दिया है, और इसलिए जीवन में उलझनें, संघर्ष और अशान्ति है । जब जीवन के इस दुहरापन को मिटाकर एकता लाएँगे, तभी जीवन में शान्ति आएगी। नेता : एक ईश्वर
ऋग्वेद में एक पुरुष सूक्त है, भाष्यकार सायण ने तो उसे दूसरे रूप में रखा है, किन्तु हम उसे नेता का जीवन-दर्शन मानते हैं। सूक्त है
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अमर डायरी
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