Book Title: Amar Diary
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 126
________________ पहाड़ जलता दिखाई देता है, किन्तु पैरों के नीचे लगी आग नहीं दिख पाती। वह बड़ी-बड़ी बातें बनाता है, दुनियाँ के कल्याण और सुधार की योजना बनाता है, किन्तु अपने कल्याण-सुधार की बात सोचने तक की फुर्सत उसे नहीं है। - एक लोक कथा है एक आदमी झाड़ा-फूंकी का काम करता था। एक रात इतने जोर की वर्षा आई कि झोंपड़ी में चारों ओर से पानी टपकने लगा । स्त्री-बच्चे सब परेशान हो गए । स्त्री ने उसे छप्पर ठीक करने के लिए बहुत कुछ कहा, उसने सुबह उसकी मरम्मत करने का आश्वासन दिया, किन्तु सुबह हुआ और भूल गया। पत्नी से इस बात पर हमेशा तकरार होने लगी, रात को दिन में करने का वादा करता, और दिन हुआ कि आलस कर जाता। एक दिन झाड़-फूंक करता हुआ यह मंत्र उच्चार रहा था। "आकाश बाँधू पाताल बाँधू, बाँधू जल की खाई। इतना काम नहीं करूँ तो, हनुमान जी की दुहाई।।" स्त्री ने उसकी यह डींग सनी तो वह गर्मा उठी, पीछे से पीठ पर एक धोस जमाया और गर्ज पड़ी कि यहाँ तो दुनिया भर को बाँध रहा है, परन्तु इतने दिन हुए घर का एक टूटा हुआ छप्पर भी तेरे से नहीं बँध रहा है। लगता है आज हम सब की यही स्थिति हो रही है। स्वर्ग-नरक की बातें, समाज और राष्ट्र के सुधार की योजनाएँ बनाते जा रहे हैं, लेकिन अपने आप को नहीं सुधार रहे हैं। जैन-धर्म का हृदय : जैन धर्म ने व्यक्ति को महत्व दिया है, देश और काल को भी महत्व दिया __ है, किन्तु उसने जिस सर्वोपरि सत्य को महत्व दिया है, वह है गुण-शक्ति । वह व्यक्तिवादी नहीं है, किन्तु शक्तिवादी-गुणवादी है। जिस व्यक्ति में आत्मा की शक्तियों का विकसित स्वरूप दर्शन होता है, वह उसी शक्ति मंडित व्यक्ति-व्यक्तित्व को महत्व देता है। - अमर डायरी Jain Education International 117 www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only

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