________________
(१) इस प्रकार शोध की जाय कि पागल कुत्तों का तुरन्त उपचार होकर वे स्वस्थ हो सकें।
(२) पागल कुत्ते के काटे हुओं के उपचार के लिए तुरन्त एक व्यवस्थित अस्पताल खोला जाय।
वसीयतनामे को ध्यान से पढ़ने पर आप समझेंगे कि पहला पुण्य, पापानुबन्धी पुण्य है, और दूसरा पुण्यानुबन्धी पुण्य है।
ज्ञान प्राप्त करने की प्रेरणा श्रुत ज्ञान से होती है और स्फुरणा एवं प्रवृत्ति, वीर्यान्तराय कर्म के क्षयोपशम से होती है।
क्या आप महान बनना चाहते हैं? जीवन यात्रा को सफलतापूर्वक गतिशील रखना चाहते हैं? यदि वास्तव में आप चाहते हैं, तो इस महामन्त्र को जीवन के प्रत्येक चरण पर याद रखिए कि-मृत्यु तो जीवन का एक अध्याय मात्र है। उसके बिना जीवन-ग्रन्थ की पूर्णता नहीं हो सकती।
तुम्हें अपने उचित मार्ग पर निरन्तर बढ़ते रहना चाहिए। कर्तव्य का पालन करते चलो, यश और नाम के पीछे मत दौड़ो।
जानते हो न? यश तो यथार्थ (कर्तव्य) की छाया है। वह तो यथार्थ के पीछे-पीछे कब से चला आ रहा है?
तुम नाम के पीछे लटकते रहो, यह तुम्हारे लिए गौरव की बात नहीं। मंत्री अपने सचिवों के पीछे दौड़ता रहे, क्या उचित है? .. तुम्हारा गौरव इसी में है कि तुम अपने कर्तव्य-मार्ग पर चलते रहो, और नाम तुम्हारी तलाश में पीछे-पीछे दौड़ता रहे। समाचार आगे बढ़ते जायँ और खबरनवीश पीछे-पीछे दौड़ते रहें।
38
अमर डायरी
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org