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मैंने कहा उनसे- “आप तो वैसी ही बात कर रहे हैं, जैसे कि किसी सेठ ने नौकर को लिफाफा डालने के लिए भेजा और कहा, शायद वजन ज्यादा है, इसलिए पोस्ट आफिस से पूछकर और टिकट चिपका देना।"
नौकर ने सोचा-“सेठ निरा मर्ख है, इतना भी नहीं समझता कि भारी लिफाफे पर और टिकट लगाने से तो वह और भी भारी होगा।" बस, उसने होशियारी की। जो टिकट पहले लगे थे वे भी उतार दिए, और बैरंग लिफाफा डाक में डाल दिया।
यह ठीक है कि पुण्य का भी भार है, पर उसके बिना बैरंग लिफाफे की तरह जीवन का क्या मूल्य होगा?
रसोई बनाने के लिए अग्नि जलानी पड़ती है। यदि जल जाने के भय से आग का पूर्ण बहिष्कार कर दिया तो कैसे खाना बनेगा? इसका उपाय यही है कि अग्नि जलाने का तरीका सीखो, और सावधानी से काम लो। ___ आत्मा की मुक्ति के लिए पुण्य को तिलाञ्जलि देने से काम नहीं चलेगा। फिर तो सब सत्कर्म ही छूट जाएँगे, जीवन लड़खड़ा जाएगा। इसलिए पुण्य क्रिया का रहस्य समझो, उसमें आसक्ति और कामना मत रखो। ज्ञान और विवेक से पुण्य के बन्धत्व की समस्या हल करो।
पुण्य के दो भेद समझने के लिए एक उदाहरण है। दो धनी व्यक्तियों को पागल कुत्ते ने काट लिया। पागल होकर मरने की स्थिति का ध्यान रखते हुए शीघ्र ही दोनों ने अपने वसीयतनामे लिखे।
एक ने लिखा-पागल कुत्ते के दंश की पीड़ा से मरते हुए लोगों को बचाने के लिए मैं यह सम्पत्ति दान करता हूँ। इसका उपयोग पागल कुत्तों को मारने के लिए किया जाय।
दूसरे ने लिखा--इस प्रकार की पीड़ा से मरते हुए लोगों को बचाने के लिए मेरी समस्त सम्पत्ति का उपयोग किया जाय। उपयोग दो प्रकार से होना चाहिए।
अमर डायरी
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