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लेने को आए, तो वह उन मूर्तियों के बीच में जाकर बैठ गया । यमदूत ने बहुत बारीकी से देखा-भाला, परन्तु असली आदमी को नहीं पहचान सका । वह लौट गया। यमराज से उसने सब बात कही, और कुछ तरकीब पूछकर वापिस आया । मूर्तियों को देखकर बोला- “ वाह ! क्या कमाल की चतुरता है ? ऐसा कलाकार तो संसार में आज तक कोई नहीं हुआ ! कितनी सुन्दर मूर्तियाँ बनाई हैं ? परन्तु इतनी सुन्दर मूर्तियों में सिर्फ एक ही कमी रही है।
कलाकार अपना आपा भूल गया और बोल उठा - “ वह क्या ?” यमदूत ने उसे पकड़ लिया, बोला- “बस यही कमी रही है।"
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एक वैज्ञानिक ने बताया है कि आज के युद्ध का फार्मूला सिर्फ तीन अक्षरों में है। वह है ए + बी + सी (A. B. C. )
ए + एटम बम - अणुबम (अणुयुद्ध) भयंकर
बी + बैक्टिरियालोजी - कीटाणु (कीटाणु युद्ध) भयंकरतर
सी + केमिस्ट्री - रसायन, गैस (गैस युद्ध) भयंकरतम
इन तीन अक्षरों पर संसार का भविष्य टिका है।
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एक दिन किसी ने कवीन्द्र रवीन्द्र से पूछा - "गुरुदेव, सत्य क्या है ?” कवीन्द्र ने उत्तर दिया – “सत्य घोंसला है, और सत्य अनन्त आकाश है । ” उत्तर पर गहराई से विचार करने पर सत्य की सुन्दर और मार्मिक व्याख्या मिलेगी ।
चिड़िया घोंसले से प्यार करती है । उसी ने उसका निर्माण किया है। जीवन के सपने देखे हैं । घोंसले में ही वह आनन्द मना रही है। किन्तु जब पौ फटने को होती है तो प्रकाश के दर्शन कर चिड़िया घोंसले से निकल पड़ती है । अनन्त आकाश में ऊँची उड़ानें भरकर आनन्द विभोर होती है । मस्ती से चहचहाती है । सत्य के दोनों रूप शाश्वत हैं। एक व्यष्टि का दूसरा समष्टि का ।
अमर डायरी
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