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आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद
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करते है ।
[११६] गुप्ति समिति आदि गुण से मनोहर; सम्यग्ज्ञान, दर्शन और चारित्ररूप रत्नत्रयी से महामूल्यवान और संयम, तप, नियम आदि गुण रूप;
[११७] सुवर्णजड़ित श्री संघरूप महामुकुट, देव, देवेन्द्र, असुर और मानव सहित तीन लोक में विशुद्ध होने की कारण से पूजनीय है, अति दुर्लभ है । और फिर निर्मल गुण का आधार है, इसीलिए परमशुद्ध है, और सबको शिरोधार्य है ।
[११८] ग्रीष्म ऋतु में अग्नि से लाल तपे लोहे के तावड़े के जैसी काली शिला में आरूढ़ होकर हजार किरणो से प्रचंड और उग्र ऐसे सूरज के ताप से जलने के बावजूद भी; [११९] कषाय आदि लोग का विजय करनेवाले और ध्यान में सदाकाल उपयोगशील और फिर अति सुविशुद्ध ज्ञानदर्शन रूप विभूति से युक्त और आराधना में अर्पित चित्तवाले सुविहित पुरुष ने;
[१२०] उत्तम लेश्या के परीणाम समान, राधावेध समान दुर्लभ, केवलज्ञान सदृश, समताभाव से पूर्ण ऐसे उत्तम अर्थ समान समाधिमरण को पाया है ।
[१२१] इस तरह से मैंने जिनकी स्तुति की है, ऐसे श्री जिनकथित अन्तिम कालीन संथारा रूप हाथी के स्कन्ध पर सुखपूर्वक आरूढ़ हुए, नरेन्द्र के लिए चन्द्र समान भ्रमण पुरुष, सदाकाल शाश्वत, स्वाधीन और अखंड सुख को परम्परा दो ।
२९ संस्तारक - प्रकिर्णक- ६ - हिन्दी अनुवाद पूर्ण