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आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद
सीए यानि सीए - सीलाए या सीनेवाले की अनुमोदना करे तो प्रायश्चित |
[३२-३४] जो साधु-साध्वी वापस करूँगा ऐसे कहकर वस्त्र फाड़ डालने के लिए कातर माँगकर पात्र या अन्य चीज काट डाले, नाखून काटने के लिए नाखून छेदिका माँगकर वो नाखून छेदिका से काँटा नीकाले... कान का मैल नीकालने के लिए कान खुतरणी माँगकर दाँत या नाखून का मैल नीकाले । यह काम खुद करे, अन्य से करवाए या करनेवाले की अनुमोदना करे ( तो वहाँ भाषा समिति की स्खलना होती है इसीलिए ) प्रायश्चित |
[३५-३८] जो साधु-साध्वी सुई, कातर, नाखून छेदिका, कान खुतरणी अविधि से परत करे, करवाए या परत करनेवाल की अनुमोदना करे (जैसे कि दूर से फेंक के आदि प्रकार से देनेवाले वायुकाय विराधना, धर्म लघुता दोष होता है ।) तो प्रायश्चित्त ।
[३९] जो साधु-साध्वी तुंबड़ा के बरतन, लकड़ी में से वने बरतन या मिट्टी के बरतन यानि किसी भी तरह के पात्रा को अन्यतीर्थिक या गृहस्थ के पास निर्माण, संस्थापन, पात्र के मुख आदि ठीक करवाए, पात्र के किसी भी हिस्से का समारकाम करवाए, खुद करने के शक्तिमान न हो, खुद थोड़-सा भी करने के लिए समर्थ नहीं है ऐसे खुद की ताकत को जानते हो तो सोचकर दूसरों को दे दे और खुद वापस न ले । यह कार्य खुद करे, दुसरों के पास करवाए या ऐसे करनेवाले को अनुमोदना करे तो प्रायश्चित |
सामान्य अर्थ में कहा जाए तो अपने पात्र के लिए किसी भी तरह का परिकर्म समारकाम करने की क्रिया गृहस्थ के पास करवाए या दुसरों को रखने के लिए दे दे तो उसमें छ जीव निकाय की विराधना का संभव होने से साधु-साध्वी को निषेध किया है ।
[४०] जो साधु-साध्वी दंड, लकड़ी, वर्षा आदि की कारण से पाँव में लगी कीचड़ साफ करने की शूली, वांस की शूली, यह सब चीजो को अन्य तीर्थिक या गृहस्थ के पास तैयार करवाए, समारकाम करवाए या किसी को दे दे । यह सब खुद करे अनुमोदना करे तो प्रायश्चित् ।
करवाए या
[४१-४२] जो साधु-साध्वी पात्र को अकारण या शोभा के लिए थिग्गल लगाता है। और जो कारणविशेष से वह तुटा हो तो तीन से ज्यादा थीग्गल लगावे या सांधे - यह कार्य खुद करे करवाए या अनुमोदना करे तो प्रायश्चित |
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[४३-४६]जो साधु-साध्वी पात्रा को विना कारण अविधि से बँधन से बाँधे... बिना कारण एक बँध बाँधे यानि एक ही जगह बँधन लगाए, कारण हो तो भी तीन से ज्यादा अधिक बँधन बाँधे...कारण वश होकर तीन से ज्यादा बँधन बाँधे, बन्धे हुए पात्र देढ़ मास से ज्यादा वक्त तक रख दे । यह सब खुद करे, दुसरों के पास करवाए या करनेवाले की अनुमोदना करे तो प्रायश्चित् ।
[४७-४८] जो साधु-साध्वी वस्त्र को बिना कारण थीगड़ा लगाए... तीन से ज्यादा जगह पर थीगड़े लगाए, दुसरों के पास लगवाए थीगड़े लगानेवाले की अनुमोदना करे तो प्रायश्चित् ।
[४९] जो साधु-साध्वी अविधि से वस्त्र सीए, सीलाए या सीनेवाले की अनुमोदना करे। (वैसा करने से प्रतिलेखना बराबर नहीं होती इसलिए प्रायश्चित् ) ।
[५०-५५] जो साधु-साध्वी ( फटे हुए वस्त्र को सीए जाए तो भी) बिना कारण एक