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आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद
[६] वो आचार संपदा कौन-सी है ? ( आचार यानि भगवंत की प्ररूपी हुई आचरणा या मर्यादा दुसरी तरह से कहे तो ज्ञान-दर्शन, चारित्र, तप, वीर्य उन पाँच की आचरणा, संपदा यानि संपत्ति यह आचार संपत्ति चार तरह से है वो इस प्रकार - संयम क्रिया में सदा जुड़े रहना, अहंकार रहित होना, अनियत विहार होना यानि एक स्थान पर स्थायी होकर न रहना, स्थवीर की माफिक यानि श्रुत और दीक्षा पर्याय जयेष्ठ की तरह गम्भीर स्वभाववाले होना ।
[७] वो श्रुत संपत्ति कौन-सी है ? (श्रुत यानि आगम या शास्त्रज्ञान ) यह श्रुत संपत्ति चार प्रकार से बताई है । वो इस प्रकार - बहुश्रुतता- कई शास्त्र के ज्ञाता होना, परिचितता, सूत्रार्थ से अच्छी तरह से परिचित होना । विचित्र श्रुतता - स्वसमय और परसमय के तथा उत्सर्ग- अपवाद के जानकार होना, घोषविशुद्धि कारकता - शुद्ध उच्चारणवाले होना ।
[८] वो शरीर संपत्ति कौन-सी है ? शरीर संपत्ति चार तरह से बताई है । वो इस प्रकार - शरीर की लम्बाई-चौड़ाई का सही नाप होना, कुरुप या लज्जा पैदा करे ऐसे शरीरवाले न होना, शरीर संहनन सुदृढ़ होना, पाँच इन्द्रिय का परिपूर्ण होना ।
[९] वो वचन संपत्ति कौन-सी है ? (वचन यानि भाषा) वचन संपत्ति चार प्रकार की बताई है । वो इस प्रकार - आदेयता, जिसका वचन सर्वजन माननीय हो, मधुर वचनवाले होना, अनिश्रितता राग-द्वेष रहित यानि कि निष्पक्षपाती वचनवाले होना, असंदिग्धता-संदेह रहित वचनवाले होना ।
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[१०] वो वाचना संपत्ति कौन-सी है ? वाचना संपत्ति चार प्रकार से बताई है । वो इस प्रकार - शिल्प की योग्यता को तय करनेवाली होना, सोच पूर्वक अध्यापन करवानेवाली होना, लायकात अनुसार उपयुक्त शीक्षा देनेवाली हो, अर्थ-संगतिपूर्वक नय-प्रमाण से अध्यापन करनेवाली हो ।
[११] वो मति संपत्ति कौन-सी है ? (मति यानि जल्द से चीज को ग्रहण करना) मति संपत्ति चार प्रकार से बताई है। वो इस प्रकार अवग्रह सामान्य रूप में अर्थ को जाननाईहा विशेष रूप में अर्थ जानना, अवाय ईहित चीज का विशेष रूप से निश्चय करना, धारणाजानी हुई चीज का कालान्तरमें भी स्मरण रखना ।
वो अवग्रहमति संपत्ति कौन-सी है ? अवग्रह मति संपत्ति छ प्रकार से बताई है । शीघ्र ग्रहण करना, एक साथ कई अर्थ ग्रहण करना, अनिश्रित अर्थ को अनुमान से ग्रहण करना, संदेह रहित होकर अर्थ ग्रहण करना ।
उसी तरह ईहा और अपाय मतिसंपत्ति छ तरह से जानना ।
वो धारणा मति संपत्ति कौन-सी है ? धारणा मति संपत्ति छ प्रकार से बताई है । कईं अर्थ, कईं तरह के अर्थ, पहले की बात, अनुक्त अर्थ का अनुमान से निश्चय और ज्ञात अर्थ को संदेह रहित होकर धारण करना । वो धारणा मति संपत्ति है ।
[१२] वो प्रयोग संपत्ति कौन-सी है ? वो प्रयोग-संपत्ति चार प्रकार से है । वो इस प्रकार -अपनी शक्ति जानकर वादविवाद करना, सभा के भावो को जानकर, क्षेत्र की जानकारी पाकर, वस्तु विषय को जानकर पुरुष विशेष के साथ वाद-विवाद करना यह प्रयोग-संपत्ति । [१३] वो संग्रह परिज्ञा संपत्ति कौन-सी है ? संग्रह परिज्ञा संपत्ति चार प्रकार से है । वो इस प्रकार - वर्षावास के लिए कईं मुनिजन को रहने के उचित स्थान देखना, कई मुनिजन