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गच्छाचार-११८
हो उतना वो आलोचन न करे और बडी साध्वी की आज्ञा में न रहे । तथा
[११९] निमित्त आदि का प्रयोग करे, ग्लान और नवदीक्षित को औषध-वस्त्र आदि द्वारा प्रसन्न न करे, अवश्य करनेलायक न करे, न करने लायक यकीनन करे
[१२०] यतनारहित गमन करे, ग्रामान्तर से आए प्राहुणा साध्वी का निर्दोष अन्न-पान आदि द्वारा वात्सल्य न करें तरह-तरह के रंग के वस्त्र का सेवन करे और फिर विचित्र रचनावाले रजोहरण का इस्तेमाल करे
[१२१] गति-विभ्रम आदि द्वारा स्वाभाविक आकार का विकार इस तरह प्रकट करे कि जिससे जवान को तो क्या लेकिन बुढो को भी मोहोदय हो ।
[१२२] मुख, नयन, हाथ, पाँव, कक्षा आदि बारबार साफ करे और वसंत आदि रंग के समूह से बच्चों की भी श्रोत्रादि इन्द्रिय का हरण करे । ऐसी साध्वीओं को स्वेच्छाचारी मानना चाहिए ।
[१२३] जिस गच्छ में स्थविरा के बाद तरुणी और तरुणी के बाद स्थविरा ऐसे एकएक के अन्तर में सोए, उस गच्छ को हे गौतम ! उत्तमज्ञान और चारित्र का आधार समान मानना चाहिए ।
[१२४] जो साध्वी कंठप्रदेश को पानी से धोए, गृहस्थ के मोती आदि परोए, बच्चों के लिए कपड़े दे, या औषध जड़ीबुट्टी दे, गृहस्थ के कार्य की फिक्र करे ।
[१२५] जो साध्वी हाथी, घोड़े, गधे आदि के स्थान पर जाए, या वो उसके उपाश्रय में आए, कुल्टा स्त्री का संग करे और जिसका उपाश्रय कुल्टा के गृह की नजदीक हो
[१२६] गृहस्थ को तरह-तरह की प्रेरणा दे गृहस्थ के आसन पर बैठे और गृहस्थ से परीचय करे उसे हे गौतम साध्वी न कहना चाहिए ।
[१२७] अपनी शिष्याए या प्रातीच्छिकाओ को समान माननेवाले, प्रेरणा करने में आलस रहित और प्रशस्त पुरुष का अनुसरण करनेवाली महत्तरा साध्वी गुण सम्पन्न मानना
चाहिए ।
[१२८] संवेगवाली, भीत पर्षदावाली, जरुर होने पर उग्र दंड देनेवाली, स्वाध्याय और ध्यान में युक्त और शिष्यादिक का संग्रह करने में कुशल ऐसी साध्वी प्रवर्तिनी पद के योग्य जानना ।
[१२९] जिस गच्छ में बुढी साध्वी कोपायमान होकर साधु के साथ उत्तर-प्रत्युत्तर द्वारा जोरो से प्रलाप करती है, वैसे गच्छ से हे गौतम ! क्या प्रयोजन है ?
[१३०] है गौतम ! जिस गच्छ के भीतर साध्वी जरुरत पड़ने पर ही महत्तरा साध्वी के पीछे खड़े रहकर मृदु, कोमल शब्द से बोलती है वही सच्चा गच्छ है ।
[१३१]और फिर माता, बेटी, स्नुषा या भगिनी आदि वचन गुप्ति का भंग जिस गच्छ में साध्वी न करे उसे ही सच्चा गच्छ मानना चाहिए ।
[१३२] जो साध्वी दर्शनातिचार लगाए, चारित्र का नाश और मिथ्यात्व पेदा करे, दोनों वर्ग के विहार की मर्यादा का उल्लंघन करे वो साध्वी नहीं है ।