Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 40
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra गाड़ा-५०२ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (५०२ ) पोसगसंवरणडलंखवाहसोयरियमच्छिगा कम्पे पडकारा य परीहर रजगा कोसेगा सिप्पे (५०३ ) करपादकण अणणासिय ओट्ठविहूणा य वामणा वडभा खुजा पंगुलकुंटा काणा एते अदिक्खेया (५०४) पचाय होति विगला आयरियत्तं न कप्पए तेर्सि सीसो ठावेयव्यो काणगमहिलोव्व निण्णम्मि (५०५) जे पुण जातीजुंगित कम्मे सिप्पे य तिण्णिवि न दिखे बितियपदे दिक्खेज्जा एएहि कारणेहिं तु (५०६) जाहे य माहणेहिं परिभुत्तो कम्मसिप्पपडिविरतो अद्धाण परविदेसे दिक्खा से अब्मगुण्णाया (१०७) कम्मे सिप्पे विजा भंते जोगेण चैव ओबद्धे समणाण व समणीण व न कप्पए तारिसे दिक्खा (५०८) कम्मं तु उड्डुमादी सिप्पं सिक्खिज्जते गुरुविदेसा लोहारादी तं पुण विजकलालेहमादीओ (५०९) अहवा विजससारण मंतो पुण होति पढियसिद्धो तु वसिकरणपादलेवादि ततो उ जोगा मुणेयव्या (५१०) गोवालादी कम्मे ओवद्धा छिण्णऽ छिन्ण कालेणं दिन्ना अदिन्नमतिया दिन्नमतीया न कप्पंति (५११) सिप्पादी सिक्खतो सिक्खाविंतस्स देति जा सिक्खा गहितम्मिवि सव्यंपी जचिरकालं तु ओबद्धा (५१२) बंध वहो रोहो या हविज परिताव संकिलेसो या ओबद्ध गम्मि दोसा अयन सुत्ते य परिहाणी (५१३) मुक्को व मोइओ वा अहवा वीसञ्जितो नरिंदेण अद्धाण परविदेसे दिखा से अमाणुष्णाया (५१४) दिवसमयए व जत्ताभतीय कव्वाल भयग उच्चत्ते भयओ चतुव्विहो खलु न कप्पे तारिसे दिक्खा (५१५) दिवसमयओ उ धिप्पइ छिण्णेण धण्णेण दिवसदेवसियं जत्ता तु होति गमणं उभयं वा एत्तियधणेणं (५१६) कव्वाल उडुमादी हत्यमितं कम्ममेत्तियधणेणं एचिरकाले घत्ते कायव्वं एत्तियधणेणं (५१७) कतजत्तगहियमोल्लं दिखे अकयाय होति पडिसेहो पव्वार्विते गुरुगा गहिए उड्डाह मादीणि (५१८) छिण्णमछिण्णेय धणे वावारे काल इस्सरे चैव सुतत्यजाणएणं अप्पाबहुयं तु नायव्यं (५१९) वायारे काल धणे छिण्णमछिण्णे य होति भंगट्ठ साहिय गहिते य कते मोत्तुं सेसेसु दिक्खेति For Private And Personal Use Only ॥५०२ ॥ ॥५०३॥ ||५०४|| ||५०५॥ ५०६ ॥ ॥१५०७॥ ||५०८|| ||५०९॥ 1149011 ।।५११॥ ॥५१२ ।। ।।५१३॥ ॥ ५१४॥ १९५१५|| ॥५१६॥ ॥५१७।। ।।५१८।। ॥५१९॥ 10

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