Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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११०
पंचकम्पो - (100)
॥१८
॥
॥१८११॥
॥१८१२॥
||१८१३||
11१८१४||*
॥१८१५॥
||१८१६||
॥१८१७॥
||१८१८॥
(66१०) पोरिसि सा तं झायं काउं चरिमाए पदिय पत्त पहिलेहे
ताई य अत्यपोरुसि इमिणा विहिणा करती ऊ (१८११) काउस्सग्गे कक्खेवणाउ विकहाविसुत्तिया पयतो
अब्भुट्ठाणे वा कालणाय अखेव साहरणा (१८१२) अण्णोविय सुयकप्पो सोयव्वं मंडलीय राइणिए
अनुओगधम्मयाए किइकम्मं होइकायव्वं । (१८१३) कक्खयाओ सुतकप्पो एत्तो वोच्छामि अज्झयणकपं
दायव्वजेण विहिणा जग्गुणजुत्तस्स या तंतु (१८१४) जोए परियाए अणरिहे य अरहेय विनयपडिवणे
सुतत्यतदुभएसुंजे अजायणेसुअनुमागा (१८१५) जस्सागाढो जोगो तं आगाढण चेव दायव्यं
अणगाढे अणगाढं एत्तो योच्छामि परियागं (१८१६) जंसंखपरीमाणं मणिपं सुत्तप्मि तिवरिसादीयं
तंतेणं माणेणं उद्धिसियध्वं मवे सुत्तं (१८१७) खुड्डियविमाणपविपत्तिमादि दोहेविय तु परियाए
नवि दिजती अणरिहे अणरिह ते तू इसे होति (१८१८) तितिणिए चलचित्ते गाणंगणिए यदुव्बलचरिते
आयरियपारिभासी वामावडेय पिसुणेय (१८१९) आदीअदिभावे अकडसमायारिए तरुणयमे
गव्यिच्छियपइण्ण गेण्इछेदसुए वजए अत्यं (१८२०) डहरो अकुलीमो धिपदुमेो दमग मंदबुद्धित्ति
अवियऽप्पलामलद्धी सीसोपरिभवइ आयरिए (१८२१) सोऽविय सीसो दुविहो पच्यावियओपसिक्खिओव
सो सिक्खिओऽवि तिविहो सुते अत्ये तदुभए य (१८२२) एतेसिं अणरिहाणजे पडिवक्खा उ होति सन्वेसि
परिणामगा यजे तूते अरिहा होति नायव्वा (१८२३) एतारिसे विणीए सुते अत्ये य जत्तिया भेदा
अन्यणुद्देसेसुयते सव्ये असेसिए दिशा (१८२४) एसऽज्झयणे कपोएतो योच्छं चरित्तकप्पंतु
जेतुविहाण चरित्ते यतेसु गुरुलाधवं चेव (१८२५) पंचविहमिचरित्तम्मि वणियाजे जहिं अनूमावा
एसो चरित्तकप्पो जहक्कम होइ विण्णेओ (१८२६) सामाइयादिपंचह अनुभागा तेसि जत्तिया भेदो
वयपंचगम्मि कतरंभारियरं लहुतरं किंवा (१८२७) सव्यगुरुगी यऽसा तीसे सारक्खण सेसाणि
घमव्यतं च तत्तो सतो अदत्तंमुसं तत्तो
॥१८१९॥
॥१८२०॥
||१८२१॥
॥१८२२॥
॥५८२३॥
॥१८२४॥
॥१८२५॥
॥१८२६॥
॥१८२७॥
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