Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 125
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२२ पंचक्रप्पो - (२०१५) २०२५॥ ।।२०२६॥ २०२७|| २०२८॥ ॥२०२९॥ २०३०॥ ॥२०३१॥ ॥२०३२॥ २०३३॥ (२०२५) पिप्पलगसूतियारिगणक्खधणतलियपुडगवझेय कत्तियकत्तरिसिक्कगसंवट्टग लाउए चैव (२०२६) वाइयपेत्तियसिंभियगुलिगाणं अगदसत्यकोसेय जंचऽण्णुवगहकरगंगिण्हह अद्धाणकप्पम्मि (२०२७) सीहाणुगाय पुरतो वसमाणू मग्गतो समणिति पंथे तंपिय जंता धरैतिजा अद्धपञ्जत्ती (२०२८) दंडियमिच्छद्दिवी समुदाणनिवारणं च निविसए सारूविसत्रिमद्दगवसमा पुण दग्दलिंगेणं (२०२९) उवकरणचरित्ताणं विलोवणा सरीरलोयऽणागाढे ___धम्मकहनिमित्तेणं पुलागकजेण आगाढे (२०३०) असियादिकारणेहिं अद्धाणपवञ्जणं अनुष्णातं उपकरणपुव्वपडिलेहिएण सत्येण गंतव्यं (२०३७) वच्चंताणं असहू कोई नतरिल गंतु पादेहिं अपरक्कमोहुताहे तवियं तु इमे विमग्गेज्जा (२०३२) एगक्खुरे य दुखुरे दुपए अनुबंधे तह य अनुरंगा अह भद्दएऽभिजायति असती अनुसट्टिमादीहिं ।। १३४ (२०१३) एगखुरा आसाती दुखुरा उवादि दुपयजवादी अनुबंधी सकडादी अनुरंग पिसी उ सिविय बोद्धव्या (२०३४) एतेसिं पुब्बुवखुरादि जाइत्तुं सिद्धपुत्तादी असतीय खुहुतो वा लिंगविवेगेण कड्ढतितु (२०३५) आवासियम्मि सत्ये तस्सेव तगंपि अप्पिणंति पुणो अहमणइ गतासंता अप्पेझाहति मम हयं (२०३६) ताहे पच्छकडादी धारेती तेसि असइ उखुको लिंगविवेगं काउं चारेति जा गतहाणं (२०३७) एयं दुखुरादीसुविजयणाजाजत्य सा उ कायव्वा सुत्तत्थजाणएणं अप्पाबहुयं तु नायचं (२०१८) एतेसामनतरं अणमाढालंबणे निसेविझा तट्ठाणगावराहे संवट्टिमोऽवराहाणं (२०३९) संवट्टियावराहे तवो व छेदो तहेव मूलं वा ___आयारपकप्पेज पमाण निम्माण चरिमम्मि (२०४०) अद्धाणकप्पो एसो अहुणा अनुवासणाए कप्पं तु वोच्छामि गुरुवएसा अनुग्गहटा सुविहियाणं (२०४१) अनवासम्मि उ कप्पे पत्रवग पडुच बहुविहा अत्या अनुवासियाएँ पगयं सुद्धा य तहा असुखाया (२०४२) अनुवासत्यो बहुहा उडुवासे वसण अहव असिवादी वुड्दादीवासो वा अहवा अनुवसणमणुवासो ॥२०३४|| ।२०३५॥ ||२०३६॥ २०३७॥ २०३८॥ ॥२०३९॥ २०४०।। ॥२०४१॥ ॥२०४२॥ For Private And Personal Use Only

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