Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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पंचकप्पो - (२३१२)
॥२३१२॥
॥२३१३॥
||२३१४॥
॥२३१५॥
॥२३१६॥
२३१७॥
।।२३१८॥
||२३१९॥
1॥२३२०॥
(२३१२) हेऊ कारण निकारणेय जयणादिसेवियं जहउ
चोदेति किंनिमित्तं पच्छितंदिजए सुणसु (२३१३) पायच्छिते असंतम्मि चरितं तु न चिट्ठए
चरित्तम्भिअसंतम्मि तित्थे नोसचरित्तया (२३१४) तित्यम्मिय असंतम्मि नेव्वाणं तुनगच्छती
नेव्याणम्मि असंतम्निसव्या दिक्खा निरत्थिया (२३१५) एवं निसीहकप्पो चउहा तू वण्णिओ समासेणं
ववहारकप्पमहुणा गुरूवएसेम वोच्छामि (२३१६) ववहारे कोइ भिक्खू सचित्तनिवातनिद्धमहुरेहिं
__ ववहरती वयहारं वितहं सोसंघमज्झम्मि (२३१७) कोई बहुस्सुय भिक्खू अपुवनगरम्मि कंचि ववहारं
माएणं छिंदित्ता वत्यब्देहिं पमाणकतो (२३१८) अह पच्छा सञ्चित्तंखुवाई तस्स केणई दिण्णं
वसही पाउरणं वा वरऽम्ह पक्खं ववहरेउ (२३११) घयतिल्लादी निझं खंडगुलादीहिं यावि संगहितो
सव्याहि एहिं ताहे ववहरए पक्खवाएणं (२३२०) दुइवयहारिएणं को उनिसेहिल तो वदे संघो
एयद संघपेलो कीरइ इणमो सयं पत्तो (२३२१) अण्णो तर्हि तु गीतो संघसमत्तीए तिणि वाराउ
उचारे सिद्धपुत्तो तत्य य मेराइमा होइ (२३२३) घुम्मि संघसद्दे धूलीजंघोऽविजोन एशाहि
कुलगणसंघसमाएलग्गइ गुरुएबघउमासे (२३२३) जंकाहिति अकजंतं पावति सति बले अगच्छंतो
अण्णा आणा इया व ओहावणादि तेर्सिचजकुमा (२०२४) सोऊण संघसइंधलीजंघेवि होति आगमणं
धूलीजंघनिमित्तं वयहारो उछित्तो होइ (२०२५) सोऊणं संघसइंधूलीजंघोउ आगओ संतो
वितहं ववहारमाणे साहू समएणवारेइ (२५२६) निद्धं महुर निवातं कितिकम्म विजाणएसुजपतो
सन्चित खेत्तमीसे अत्यधर निहोड दिसहरणं (२३२७) भिक्खूय मुसावादी ववहारे तइयगम्मि उद्देसे
सुत्तं उचारेती अह बहु पक्खाइम होइ (२५२८) रागेण व दोसेण व पक्वग्गहणम्मिएक्कमिक्कस्स
कञ्जम्मि कीरमाणे किं अच्छइ संघ मज्झत्यो (२३२१) रागेण व दोसेण वपखवग्गहणेण एक्कमेक्कस्स
कमम्मि कीरमाणे अण्णोऽवि भणेउता कोई
२३२१॥
||२३२२॥
।।२३२३॥
॥२३२४||
||२३२५॥
२३२६॥
॥२३२७॥
॥२३२८॥
॥२३२९॥
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