Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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गाहा-२३३०
१३१
॥२३३०॥
॥२३३१॥
॥२३३२॥
॥२३३३॥
॥२३३४॥
२३३५॥
॥२३३६||
॥२३३७||
॥२३३८॥
(२३३०) कुलगणसंघढवणं इनयाणामि देसिओ मि अहं
अण्णेणविता केणइ कप्पि इह जंपिउं किंचि (२३५१) संघेण अनुण्णाते अह जंपति सोताहें गुणसमिद्धो
ववहारनीइकुसलो अनुमाणतो तयं संघ (२३३२) संघो महाणुभावो अहंच वैदेसिओइह मंते
संघसमिति नजाणे तं मे सव्व खमावेमि। (२३३२) देसे देसे ठयणा अना अनाय होइ समितीय
गीयत्येहऽभिणातं विदेसिओऽहंन जाणामि (२५३४) अनुमानेता एवं ताहेऽणुण्णाए जंपए इणमो
परिसाववहारीण य इमे गुणे ऊसमासेणं (२३३५) परिसा ववहारी वा मज्झत्था रागदोसनिहुयावि
जति होति दोविपक्खा ववहरिउं तो सुहं होती (२३५५) वुत्तेवऽत्यधरेणं जति उ ववहारिणो उजंपेक्षा
नूणं तुम्हे मण्णह मज्नं सव्विक्कवयणंति (२३३७) सेसा उ मुसावादी सम्रपरिब्मट्ठगा उर्कि सचे
___ भण्णइ सुणेह एत्थं भूतत्यभिणं समासेणं (२३३८) ओसन्नचरणकरणे सच्चवयहारता दुसद्दहिया
चरणकरणं जहंतो सच्चव्ववहारयपि जहे (२३३९) जइया अणेण चत्तं अप्पनयं नाणदंसणचरितं
__ तइया तस्स परेसुं अनुकंपा नत्यि जीवेसुं (२३४०) भवसयसहस्सदुलहं जिनदयणं मावओजहंतस्स
जस्स न जातंदुक्खं न तस्स दुक्खं परे दुहिए (२३४१) आयारे वतो आयारपरूवणे असंकियओ
आयारपरिब्मट्टो सुद्धचरणदेसणे भइओ (२३४२) तित्यगरे भगवंते जगजीववियाणए तिलोगगुरू
__ जोन करेति पमाणं सो न पमाणंसुयधराणं (२३४३) तित्ययरे भगवंते जगजीववियाणए तिलोगगुरू
जो उ करेति पमाणं सो उपमाणं सुयधराणं (२३) संघो गुणसंघातो संघो य विभोयओय कम्माणं
रागद्दोसविमुक्को होइ समो सव्वसाहूणं (२५) परिणामियबुद्धीएउवयेओ होइ समणसंघो उ
कजे निच्छितकारी सुवरिच्छियकारओ संघो (२५४६) एक्कसि दुवे व तिण्णिव पेसविते न एइ परिभवेणं तु
आणाइक्कमणिहणाउ आउट्टववहारो (२३७) आसासो वीसासो सीतधरसमोय होति मा माती
अम्मापीतिसमाणो संघो सरणं तु सव्वेसिं
॥३३३९॥
||२३४०||
||२३४१॥
||२३४२॥
॥२३४३||D
॥२३४४॥
॥२३४५॥
॥२३४६॥
॥२३७॥
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