Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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गाडा - २२९४
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(२२९४) चउहा निसीहकप्पो सद्दह अनुपालणा गहण सोही सद्दहणाविप दुविहा ओहे निसीहे विभागे य (२९९५) ओहेति हत्थकम्मं कुणमाणे रागमूलिया दोसा गिण्हणमादि विभागे अहवोहो होइ उस्सग्गो (२२९६) अववादो हु विभागो सव्यंऽ पेयं तु सद्दहंतस्स सद्दहणाए कप्पो होइ अकप्पो पुण इमो हु (२२९७) मिच्छत्तस्सुदएणं ओसनविहारत्ताएँ सद्दहणा गणहर मेरं ओहं न सदहती जो निसीहं तु ( २२९८) ओसत्राण विहारं सद्दहति सुविहियाण गणमेरं न उद्दती जो खलु एस अकप्पो उ सद्दहणे (२२९९) जाणि भणियाणि सुत्ते पुव्वावरवाहियाणि वीसाए ताणि अनुपालयतो सव्वाणि निसीहकप्पो उ ( २३००) सुत्तत्थतदुभयाणं गहणं बहुमानविनयमच्छेरं चोद्दसपुब्बिनिबद्धे कप्पे गहियम्मि गणहारी ( २३०१) तिविहो य पकप्पधरो सुत्ते अत्ये य तदुभए चेव सुत्तधर मोत्तु तइओ बितिओ वा होइ गणहारी (२३०२) तिग पणग पणग छक्कं अट्ठग नवगं च जस्स उचलद्धं ठाकरणं दानं च सोहु सोही वियापाहि
( २३०३) नाणाईणं तियगं पणगं वबहारी होइ पंचविही
बितिय पण पंच यता छक्कं पुण होति छक्काया ( २३०४) आलोयणारिहगुणे अठ्ठ उ अहवावि सोहि अट्ठविहा आलोयणतादीयं मूलं तं जाणती जो तू
( २३०५) आलोयणमादीयं अणवतं तु नवविहं होति पारंचितंतमहवा दसविहे होती चसद्देणं
(२१०५) ठेवणारोवणकरणं सफला मासा करेत्तु जो जाणे सो होति दान अरिहो तव्विवरीओ अणरिहो उ (२१०७) किह पुण तं दायव्वं पायच्छितं तु पुच्छए सीसो tors इमेण विहिणा दायव्यं तं जहाकमसो ( २३०८) ओहेण उ सट्टाणं सद्वाणविभागता पवित्वारो पच्छित्तपुरिसहेऊ किंति न संती चरणमादी (३३०९) ओहे सङ्घाणंति य जह चउगुरु होइ रायपिंडम्पि साविभागे पुण ईसरमादी मुणेयव्यो (२११०) जह वा करकम्मम्मिय ओहेणं होइ मासगुरुयं तु होइ विभागपसंगो दिट्ठादीओ मुणेयब्बो
( २३११) पुरिसज्जातं नाउं च दिजए जं च चारिसं वत्युं गुरुमादिबलियटुब्बलहद्वगिलाणादिजं जोगं
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