Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
गाह-२८७
॥२५८१॥
॥२५८२॥
॥२५८३॥
॥३५८४॥
२५८५॥
॥२५८६॥
।।२५८७॥
।।२५८८llo
॥२५८९॥
(१५८१) ते पुण ठित एक्काए वसहीए अहव पुष्फकिण्णा उ
__ अहवावि उसंकमणे दवस्सिणमो विही अण्णो (२५८२) सुत्तत्यतदुभयविसारयाण योवे असंतईभेदे
संकमणदब्वमंडलिआवलियाकप्पअनुवासा (२५८३) पुदहिताण खित्तेजदि आगळेज अण्ण आयरिओ
बहुसुय बहुआगमिओ तस्स सगासभिजइ खेत्ती (२५) किंचि अहिलेजाही योवं खेतंच तंजदि हविजा
ताहे असंयरंता दोण्णिऽवि साहू विसज्जेति (१५८५) अण्णोण्णस्स सगासे तेसिपिय तत्य विजमाणाणं
आभयणा तह चेव यजह भणियमनंतरे सुते (२५८६) एवं निव्याघाते मास चउपासिओ उथेराणं
कप्पो कारणओ पुण अनुवासो कारणं जाव (२५८७) एसऽणुवासणकप्पो अहुणा अनुपालणाएँ कप्पंतु
संखेवसमुद्दिद्वं योच्छामि अहं समासेणं (२५८८) मोहतिगिच्छाएँ गहे नडे खेत्तादि अहय कालगते
आयरिए तम्मि गणेपीलादिरखणडाए (२५८५) को उ गणी ठवणिज्जो मण्णइ जइ तस्स कोति सीसो उ
सुतत्यतदुभएहिं निम्माओ सो ठवेयब्यो (२५९०) असतीय तस्स ताहे ठायेयव्या कमेणिमेणंतु
पव्वज कुले नाणे खेते सुहदुक्खि सुत सीसे (२५९१) गुरुगुरु गुरुणं तू वा गुरुसज्झिलओ व तस्स सीसो वा
पव्वजएगपरखी एमादी होइ नायव्यो (२५९२) असतीऍ कुलियो या तस्सऽसतीए सुएगपक्खीओ
उवसंपन्ने तस्सऽसतीए ठयेयव्यो (२५९३) सुहदुखियस्स असती तस्सऽसतीए सुओवसंपन्नो
एवं तु वियाण तर्हि सीसम्मि उमग्गाणा नस्थि (२५११) पाडिच्छगणधरे पुणपुविए तहियं तुमागणा इणमो
सुत्तत्थमहिअंते अणहिअंते इमे विभागा (२५९५) साहारणं तु पढमेबितिए खेतम्मिततिए सुदुक्खे
___ अणहिज्जते सीसे सेसे एक्कारस विभागा (२५९५) पुवदिढ गण्स्स उपच्छुदिटुंपवाययंतस्स
संवच्छरम्मि बितिए सीप्सम्मितुजंतुसच्चित्तं (२५९७) पुव्वंपादिवे पडिच्छएजंतु होइ सचित्तं
संवच्छाम्मि बितिएतं सव्यं पयाययंतस्स (२५९८) पुव्यंपच्छुद्दिडे सीसम्मि उजंतु होइ सचित्तं
संवच्छरम्मि पढमेतं सव्व गणस्स आभवति
॥२५९०|10
॥२५९१॥
॥२५९२॥
॥२५९३॥
॥२५९४॥
२५९५॥
॥२५१६॥
॥२५९७॥
॥२५९८॥
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164