Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 155
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १५२ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२५६३) अजाण परिग्गहियाण उग्गहो जो उ सो तु आयरिए काले दो दो मासा उदुबद्धे तासि कप्पी उ (२५६४) सेसं जह थेराणं पिंडो व उवस्सओ य तह तासिं सो सव्वोदिय दुदिही जिनकप्पो थेरकप्पो य (२५६५) जिनकप्पियऽ हालंदियपरिहाराविसुद्धियाण जिनकपो राणं अजाण य बोद्धव्वो थेरकप्पो उ (२५६५) दुविहो य मासकप्पो जिनकप्पो चैव थेरकप्पो य निरणुग्गहो जिणाणं घेराण अनुग्गहपवत्ती (२५५७) उदुवासकालतीते जिनकप्पीणं तु गुरुन गुरुगा य होते दिणम्मि दिणम्मि थेराणं ते च्चिय लहुओ (२५६८) तीसं पदावराहे पुट्ठी अनुवासिय अनुवसंतो जे जत्थ पदे दोसा ते तत्ययगो समावण्णे (२५६९) परसुग्गमदोसा दस एसणदोस एते पणुवीसं संजोयणादि पंच य एते तीसं तु अंबराहा (२५७०) एएहिं दोसेहिं जड़ असंपत्ति लग्गती तहवि दिवसे दिवसे सो खलु कालातीते वसंती उ (२५७१) वासावासपमाणं आयारे उप्पमाणितं कप्पं एवं अनुष्यंतो जाणसु अनुवासकप्पं तु (२५७२) आयारपकष्पमम्मी जह भणितं तीति संवसतीवि होइ अनुवासकप्पो तह संवसमाणऽ दोसा उ (२५७३) दुविहे विहारकाले वासायासे तहेब उदुबद्धे मासातीते अनुबहि वासातीते भवे उवही (२५७४) उदुबद्धिएसु उद्वसु तीतेसुं तत्य वास न उ कप्पे तूणं उवही खलु वासातीतेसु कम्पति तु (२५७५) वासउदुअहालंदे इत्तरि साहारणे पुहुत्ते य उग्गहसंक्रमणं या अण्णोष्णसकासऽ हिचंते (२५७९) वासासु धउम्मासो उदुबद्धे मासो संदपंच दिणा इत्तरिउ रुक्खमूले वीस मणट्ठा ठिताणं तु (२५७७) साहारणा उ एते समट्ठियाणं बहूण गच्छाणं एक्केणं परिगहिया सव्वे बोहित्तिया होंति (२५७८) संक्रमणमण्णमण्णस्स सकासे जइ उ ते अधीयंते सुत्तत्यतदुभयाई संधे अहवादि पडिपुच्छे (२५७९) ते पुण मंडलियाए आवलियाए व तं तु गिण्हेञ्जा मंडलियमहिते सच्चित्तादी उ जो लाभो (२५८०) सो उपरंपरएणं संकापति ताव जाव सट्ठाणं जहियं पुण आवलिया तहियं पुण अंतरे व्यति For Private And Personal Use Only पंचकणी (२५६३) ||२५६३॥० ॥२५६४॥ ॥२५६५॥ ॥२५६६ ॥ ॥२५६७॥ ॥२५६८|| ||२५६९|| ॥२५७०॥ ॥२५७१॥ ॥२५७२ ।। ॥२५७३॥ ॥२५७४ ॥ ॥२५७५॥ ★ ॥२५७६ ॥ ॥२५७७॥ ॥२५७८ ॥ રહી ।।२५८० ।।


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