Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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गाहा-२२५८
१५
||२२५८॥
॥२२५९||*
॥२२६०॥
२२६॥
॥२२६२॥
||२२८३10
|२२६४0
॥२२६५॥*
||२२६६॥
(२२५८) एसो जातमजाए कप्पोऽभिहिती इदाणि रक्खामि
__ आइण्णमणाइने कप्पंतु गुरुवएसेणं । (२२५९) आहारचउक्के करण फासणे खेत्तकालउवगरणे
आइण्णे आइत्रं तब्विवरीए अणाइण्णं (२२६०) आहारचउक्कं खलु असणादीयं तु होइ नायव्वं
करणं आयरणं तू तस्स उजंजत्य आइपण (२२९१) पिसितं सिंधूबिसए डाइं पुण उत्तरावहाइण्णं
तंबोलं दमिलेसु एमादी खेतमाइण्णं (२२६२) काले दुभिक्खादिसु पलंबमादीतु सव्यमाइण्णं
उवगरणे आइण्णं वोच्छामिअओ समासेणं (२२६३) सिंधूआउलियाई काला कप्पा सुरविसयंमि
दुगुल्यादि पुंडवद्धणि महरहेसुंच जलपूरा। (२२६४) एवं जत्याइणं तहियं तू कप्पती उ आयरिउ
इतरत्य कारणम्मी फासण गहणं च परिमोगो (२२६५) आइण्णे चउवग्गे न य पीलाकारओ पवयणेय
नयमइलणा पवयणे नाइणं आयरे कप्पं (२२५५) आहार उवहि सेजा सेहा चउवग्गो होइ नापव्यो
पवयणपीलुवधाओ पिसियाई मनपाइत्ति (२२६७) चोदेइ का महलणा भण्णइ पडिसेहियाणिजं सेवे
सा होइ मइलणाऊ जो पुण सुपरिट्ठिओ चरणे (२२५८) तण्णाउ सलाहेइवण्णेइ गुणेहिं एस जुत्तोत्ति
सुटुकरे अप्पहितं जो पुण करणे अजुत्तोउ (२२५९) तं ददं संदेहो उप्पअइ किण्णु एस सच्छंदो
आओणं उवएसो एरिसओ देसिओ समए (२२७०) आह जिणकप्पियाणऽवि आइण्णं किंचि अत्यि अह नत्यि
मण्णइ न अस्थि किं पुण आयरे जिनकप्पियाण्णं (२२७१) आहारउवहिदेहे निरवेक्खो नवरि निचरापेही
संघयणविरियजुत्तो आइण्णं आयरइ कप्पं (२२७२) दंसणनाणचरिते तवे य तह भावणासुसमितीसु
छहंपितिप्पगारं सदा संघाण साहणता (२२७३) सद्दहति सम्मदंसण आयरतिपल्यणं च कुणमाणी
संघाणकप्प एसो एवं सेसाणवी नेयं (२२७४) संघाणकप्प एसो भणिओ उ समासओ जिणक्खाओ
संखेवसमुद्दिढ एतो वेच्छंधरणकप्पं (२२७५) आहार उवहि सेजा तिकरणसोहीऍजाहि परितंतो
परिगहितविहाराओ तो चवती विसयपडिबद्धो
॥२२६७॥
२२६८॥
||२२६९॥
||२२७०॥
॥२२७१॥
॥२२७२॥
॥२२७३॥
२२७४||
॥२२७५||*
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