Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 144
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गाहा-२३५६ २३६६॥ २३६७॥ ॥२३६८॥ ॥२३६९॥ २३७०|| ॥२३७१॥ ॥२३७२।।* ॥२३७३॥ (२०६६) एते अकझकारी तगराए आसि तम्मि उ जुगम्मि जेहि कता ववहाराखोडिझंतऽण्णरज्जेस (२३६७) इहलोगम्मि अकित्ती परलोए दुग्गईधुवा तेसिं अणणाएँ जिर्णिदाणंजे यवहारं ववहरति । (२३६८) बत्तीसं तु सहस्सा गच्छो उक्कोसओप उसमंमि बहुगच्छवग्गहकरा इत्तियमित्ताण जत्य संथरणं कितेऽहं पूसमित्तं धीरं सिवकोट्टतिं च अजा सं अहरण्णगधम्मण्णग खंदिल गोविंददत्तं च (२३६९) एते उ कलकारी तगराए आसि तम्मि उजुगम्मि जेहिं कता ववहाराअक्खोभा अन्नरज्जेसु (२३७०) इहलोगम्मिवि कित्ती परलोगे सुग्गई धुवा तेसिं ___आणाएँ जिणिंदाणंजे ववहारं वयहरंति (२३७१) तहियं पुण केरिसएण जंपियव्वं तु होइ समणेण मण्णइ सुणसूइणमो जारिसएणं तु वोत्तव्वं (२३७२) पारायणे समत्ते चिरपरिवाडी पुणोवि संविग्गो जो निग्गओ विदिण्णेगूरूहिं सो होति ववहारी (२३३) मूल पारायणं पढम बितियं वदतिमं ततियं च निरवसेसंजइ सुझेति गाहगो (२३७४) सुत्तत्यो खलु पढमो बितिओ निझुत्तिमीसओ भणिओ ततिओय निरवसेसोएस विही होइ अनुओगे (२१७५) पडिणीय मंदधम्मोजोनिग्गओ अप्पणो सकम्मेहि नहुहोइ सो पमाणं असमतो देसनिगमणे (२३७१) आयरियादेसाऽवारिएण सत्येण गुणितझरिएण तो संघपज्झयारे ववहरियव्वं अनिस्साए (२३७७) आयरियअणादेसा वारिएण सच्छंदबुद्धिरतिएणं सच्चित्तखित्तमीसे जो ववहरती न सोधन्नो (२००८) सोअभिमुहेइ लखो संसारकडिल्लगम्मि अपाणं उमाणदेसणाएतित्वगरासायणाएय (२००९) उम्मग्गदेसणाए संतस्स पछायणाएँ मग्गस्स उम्मग्गदेसगस्सा मासा चत्तारिभारियया (२५८०) परिवार वुड्ट धम्मका यादिखमए तहेव नेमित्ती विजा राइणिया इढिगारवो अहहा होइ (२३८१) एमादिगारवेहिं अकोवियाजे उतत्य भासिझा ते वत्तव्याइणमो न तुझ मागोइहं वोत्तुं (२५८२) बहुपरिवारो पन्नति जय परिवारेण होड कजंतु तह य परिवारं दिसु वुड्ढो पुण पण्माई इणमो ॥२३७४॥ ॥२३७५॥ ॥२३७६॥ ॥२३७७॥ २३७८॥ ॥२३७९॥ २३८०॥ ॥२३८१॥ २३८२॥ For Private And Personal Use Only

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