Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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( २०१७ ) उवस्सए य गेलण्णे उवही संघ पाहुणे सेवण उसे अणुष्णा मंडणे गणे
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(२०१८) अणप्पज्झ अगणी आऊ दीयारे पुत्तसंगमे संलेहणे वोसिरणे बोसद्वाणे ठिते तर्हि (२०१९) अरिहो अणरिहो यावि परियट्टी एवमाहिओ अहुणा पवित्तिणी तासि अजोगा उ इमा भवे (२१००) वासग्गामविहारेसु वियारादेक दीहिया
अजुत्तोवह अणाउत्ता अप्पच्छंदा य काहित्ता (२१०१) पडिणीयथद्धसुहसीला गिहिवेयावद्यकारिता संसत्तट्ठवियभत्ता य बाउसी अप्पणड़िता (२१०२) अणायतणगवेसाय छण्णंगाणं पलोइया जाण एवमादी य अज्जा सा नाणुकाङ्क्षिता (२१०३) आहारे उबहिंमि य गतीऍ सयणासणे सरीरे व भासाएँ बाउसाणं जा जहिं आरोवणा भणिया (२१०४) वासावासं वसति तु एक्किया तह य गामअणुगामं इज्जती वियारं विहार भिक्खादि एक्का य (२१०५) दीहं करेइ गोयर दो मुक्कस्सगाणि मगंती
चित्तलियादिनियंसण अजुत्तउवही भवति एसा (२१०६) इरियभासेसणादाननिक्खेवे निसिरणे अणाउत्ता अणपुच्छाए गच्छइ जत्थिच्छाए य सच्छंदा (२१०७) गेहेसु निहत्थाणं गंतूण कहा कहेति काहीया
तरुणादी अहिवडते अणुजाणति जा उसा पडिणी (२१०८) थद्धा जच्चाइमयाइएहिं सुहसील दुट्ठसीलत्ति सिव्वणबंधणमादिसु वेयावचं गिहीण करे (२१०९) उक्करसवत्थपत्तादिएहि संसत्तभाव संसत्ता अहवावि मित्येसु पाउरणादीसु अविभत्ती (२११०) भत्तं वा पाणं या निक्खिवती बाउसा उ जा धुवति अभिक्खं तु हत्यपादे कक्खंतरगुज्झमादीणि (२१११) सण्णिहिसंनिचए चैव कुणइ जा अप्पणी अणङ्काए अप्पं यावि अणट्ठा संचयं जाय करणं तु (२११२) जंतादिसाल तह वट्टकोट एमेव सोल ठाणाणि जा गच्छइ एतेसुं अणायतणगवेसिता सा उ (२११३) गुज्झंगाणि पलोए अप्पणी अहवावि जा उ पुरिसाणं उक्कोसगमाहारं एसति उवहिं च उक्कोसं
(२११४) गच्छति सविलासगती सयणिज्ज सतूलियं सब्बिदीयं उच्चट्टेइ सरीरं सिणाणमादी व जा कुणती
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पंचप्पो (२०१७)
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