Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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पाह-२१८१
||२१८६॥
|२१८७||
॥२१८॥
।।२१८९||
॥२१९०॥
॥२१९०||
॥२१९२॥
||२१९३॥
॥२११४॥
(२१८६) उअप उज्जोओ खलु एतेणंरक्खियाण उवयाणं
पीला उवधाओखलु मवति कहं पुच्छती सीसो (२१८७) मण्णति आहारोवहिसेझा एतेहिं तिहिं असुद्धेहिं
उग्गमदोसादीहि उ पीला संजायति वयाणं (२१८८) तम्हा उ उग्गमादीहि विसुद्धाऽऽहारमादिया कसा
वेरमणकप्प एसो एत्तोसाहारणं योच्छं। (२१८९) सेजुवहिल्झाय आहारमेव साहार तह य अनुकंपा
आदिपणगं तु तुलं मइयं अनुसासणाए उ (२१९०) सेजुवहिझायआहार पसिद्दा एते होति चत्तारि
साहारणकप्पो पुण मूलगुणा उत्तरगुणा य (२०११) साहारणति किं पुण सेजादुप्पादगाण सव्वेसि
__ सामण्णगुणा ते ऊ तम्हा साहारणंजाण (१९९२) आदिपणगंततलंति जाण सेजाति जाव साहारं
ठियमडियाण दोण्हवि एए खलु होति तुल्ला उ (२१९३) अहवा तिपणग मूलगुण पंचेते होति दोण्ह तुलाउ
समणाण घसमणीण व तम्हा साहारणंजाणे (२१९४) भइयमनुसासणंती अनुकंपऽणुसासणंति एगम
कोई कदाइ अणिउणो न तरति अनुसासणं काउं (२१९५) सुहमारियत्तणेणं होति विसुद्धे य अंतरप्पा से
तस्सवि होति वताई पंचवि साहारणाइंतु (२१९६) आणा तित्यगराणं सामण्णा संजयाण सव्वेसिं
सुहुमेवि तप्पणाए अनुसासणयं कुणइजोउ (२१९७) तेण अनुकंपिया निच्छएण जम्हाणुसद्विता होति
तेणऽणुकंपऽणुसट्ठी एगट्ठा होति नायव्वा (२१९८) साहारकप्प एसो अहुणा वोच्छामि निब्बिसणकप्पं
जह निव्विसंति समणा सम्मं तु गुरूवएसेणं (२११४) नाणंच दंसणंवा तहा चरितं च समितिगुत्तीओ
एक्कासीतिपदेहिं निविस निव्वेसणाकप्पो (२२००) छबिहकप्पादीया वायालंता उ पंचवी एते
मेलीणा उपवंती एक्कासीयं भवे भेदा (२२०१) नवरं छविहकप्पे वीसतिकप्पे य नामठवणाओ
मोत्तु सेसा सवे एक्कासीइंतु मेलीणा (२२०२) एए सव्वे सर्प निविसमाणस्स निब्बिसणकप्पो
एतेसिं पुण करतो पहिड्टिओ होइ सव्वेसिं (२२०३) सव्वोऽविहुचरणविसोहिकारगा तहवि अस्थि विसेसो
सद्दहणाचरणाए पइतं पुण पालणाए उ
॥२१९५॥
||२१९६॥
॥२१९७||
||२१९८॥
||२१९९||
॥२२००॥
।।२२०१॥
॥२२०२।।
॥२२०३॥
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