Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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गाभा-२१५७
R१५॥
॥२१५२॥
॥२१५३॥
॥२१५४॥
॥२१५५॥
॥२१५६||
॥२१५७॥
२१५८||
२१५९॥
(२,१) जो उगिलाणोअपत्यं मग्गइ सो होइ दुप्पडिजग्गोउ
ठाइसु मणिओ वद्याइ वत्तिय ठाइवामोसो (२०५२) जयदिपादिएहि करेति गब्बंतु परिभवति अनं
नाणादीया मग्गोपरूवणा अनहा तेर्सि (२१५३) नाणादिसुसीदंतो नसुद्धमागंतु जोपरूवेति
एसो मागच्छादो षड्ढयती दीहसंसारं (२.१४) एतेसिं तु विवेगो मगयरा खलु कुलादिया घेरा
तेहिं उबलद्धार्ण उवढ़ियाणं गुरूचउरोमासा (२.५५) वालाणंबुड्ढाणं भिक्खुमाईण चे सव्येसिं
संखेवेण महत्यो उवएसो कीरई इणमो (२५५६) कप्पे सुत्तत्यविसारएण थामावहारविजदेण
मत्तादिलंभऽलंभे सक्कारजदेण होयव्यं (२०५७) कप्पति थेरकप्पे सुत्तत्यविसारएण साहूण
सव्वत्येसू सबलं न गृहियव्वं समत्येण (२१५८) आहारमादिएहिं दबंधीयारमादि पुछते
साहू अपुजमाणेन एव मणसा विचिंतेजा (२१५९) पूइज्जेती अजया वयं तुसवण्णुमग्गमोइण्णा
___ हा कह नुन पुजामो न करे मणदुक्कडं एवं (२१६०) सक्कारपुरकारे परीसहे उ अहियासऊ एवं
जूरते नऽहियासिओ तम्हा सुमणेण होयध्वं (२१५१) वीसइविहकप्पो ऊ एसो खलु पण्णिओ समासेणं
बायालकप्पमहुणा गुरूयएसेण वोच्छामि (२०१२) दव्वे मावे तदुभय करणे वेरमणमेव साहारो
निव्वेस अंतर नयंतरेय ठिय अहिए चेव (२०६३) ठाण जिण थेर पञ्जुसणमेव सुते चरितमझयणे
उद्देस वायण पडिच्छणाय परियऽणुपेहा (२११४) जायमजाए चिण्णमचिण्णे संधाणमेव चयणे य
उववाय निसीहे या वयहारे खेत्तकाले य (२,१५) उवहीसंभोगे लिंगकप्प पडिसेवणाय अनुवासे
अनुपालणा अणुण्णा ठयणा कप्पेय बोद्धब्बे (२०६५) एतेसिंतुपयाणं पत्तेय परूवर्ण पवक्खामि
तहियं तु दन्दकप्पो इणमो उसमासओ होति (२०६७) पंचण्डं असणादीण पणुवीसति हि भवे विसोहीओ
अहवावि उचउदसया एतो तिगवद्धिया सोही (२०१८) असणं पाणं वत्यं पायं सिझा य पंव एतेर्सि
सुखी पणुवीसइया उगम तह एसणाएय
॥२१६०||
॥२१६१॥
11२१६२||
॥२१६३।।
||२१६४|
२१६५
11२१६६॥
॥२१७॥
||२१६८॥
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