Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 131
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२८ पंचकप्पो - (२ ) 1॥२१३३॥ २१३४|| ॥२१३५॥ ||२१३६॥ ||२१३७॥ ॥२१३८॥ ॥२१३९॥ |२१४०॥ ||२१४१॥ (२१३३) जहा उ दुपरियट्टो अजायागो उ तेणपडिसेहो परियट्टणे अजाणं मायाविण्यहणस्स (२७३४) मञ्जायसंपउत्तो अापरियओ अणुण्णाओ परियटए अजोगे उवट्टिए घउगुरू सोही (२१३५) मग्गधारो आयरिओ सो पुण सिदिलेइ जो उ मजाय तस्सुवदेसो कीरइ मज्जायाए दढो होइ (२१३५) उवदेससार पडिसारणाय तेण पर तिणि मास लहू छंदेअवट्टमाणं अप्पच्छंद विवज्जए (२१३७) दिवंता य इमेसिं पढमा मासलहुगावि दिअंति छगणोलपट्टरुंचणअवराहे सूरिसु कमेणं (२१३८) आयरणे उवदेसोअकप्पपडिसेवणे य उवदेसो विकहादिपमाएसुयमा वट्टह एस उवदेसो (२१३९) निद्दाइपमादाइसु सइंतु खलियस्स सारणा होइ ननु कहिय ते पमाया मा सीदसुतेसुजाणतो (२१४०) तद्दिवसं बीए वा सीदंतो वुचए पुणो तइयं अन्नं वे न सझं भिक्खण्णादीहिं संसतं (२१४१) फुडरक्खे अचियत्तं गोणो उदितो वमा हुपेल्लिया सझं अओन भनइपसन्नचितेततो सारे (२१४२) भण्णति दिण्णुवदेसो तुब्मं बितियं च चारितऽम्हेहि एगवराहो तेसढो बितियं पुण ते नवि सहामो (२१४३) ताहे पुणोऽवराहे कयम्मि पच्छित्त देति मासलहुं । मण्णइ यसुणेहेत्यं दिटुंतो तेणएणंतु (२१) गोणादिहरणगहिओ मुकको य पुणो सहोद संगहिओ उल्लोल्ल छगणहारी न मुसती जायमाणोऽवि (२१४५) पुनरवि कतावराहे मासलहुंचेव देति से सोही भत्रति घट्टिअंतं चक्कत्थं दुइ तह तुमंपि (२१४६) पुनरवि अवरद्धम्मि मासो चिय सेसि दिखते दंडो पाणो सो संपतो अइरुचियकुंकुमंतइयं (२१४७) तेण पर निच्छुभवणं कुलगणथेरादि तस्स कुव्यंति अयमण्णोऽवी नियमो भण्णइ तू जस्सिमेदोसा (२०४८) अप्पच्छंदियलुद्धं गिलाणं दुपडिजग्गगं वाम सगवितं नमासंवासोऽविन कप्पति (१९) उम्मग्गदेसणाए संतप्स्स य छायणाऍमग्गस्स मागधरउघालंभे मासा चत्तारि मारियया (१:५०) आयरियाण छंदेन वट्टती अप्पछंदिओ सोउ आहारादुकोसं लखं अतट्ठिलुद्धोउ ||२१४२।। ||२१४३॥ 11२१४४॥ ||२१४५॥ ॥२१४६॥ ॥२१४७|| ॥२१४८|| ||२१४९॥ ॥२१५०॥ For Private And Personal Use Only


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