Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 127
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पंचम्प्पो - (२०५१) ॥२०६१॥ ||२०६२ २०६३॥ ॥२०६४|| ॥२०६५|| ||२०६६D २०६७|| २०६८॥ १२०६९॥ (२०६७) गुरुयतरएसु एवं मूलगुणेसु तुजइ मवेऽणुण्णा उत्तरगुणेसु तत्तो लहुयतरेसु ततोऽणुण्णा (२०६२) ठितकप्पेसो मणिओअहुणा योच्छामि अद्वितंकप्पं संखेवपिंडितत्यं जह भणियमनंतनाणीहिं (२०६३) वत्थे पादग्गहणे उक्कोसजहण्णगम्मि अठिओउ ठितमहित विसेसो परूवित्तो संपकप्पम्मि (२०६४) यत्याणि य पायाणि यमज्झिमतित्यंकराण कप्पम्मि बहुमोल्लाणिवि गिणहइ अड्डियकप्पोसमक्खाओ (२०६५) मोल्लगरुयंपिवत्यं अट्ठारसपणितस्वगजहन्नं एतोय सयसहस्सं उक्कसमोल्लं तु नायव्यं (२०६६) ऊणगअट्टारसगं वत्थं पुण साहुणोअणुण्णातं एतोवइरित्तं पुण नाणुण्णातं भवे वत्यं (२०६७) जिनथेराणं कपं अहुणा बोच्छामि आणुपुबीए जंजत्थ जहा निययति समासतो तंतहा सुणसु (२०६८) जिनथेराणं कप्पो जम्हा उ ठितम्मि अहिए चेव ठितअडितकप्पाणंजम्हा अंतग्गता एतो (२०६१) जो उ बिसेसो एत्थं तं तुसमासेण नवरि वक्खामि जिनथेराणं कप्पे जिनकप्पे ता इमं वोच्छं (२०७०) दुयसत्तए तियचउक्कगस्स अद्धएगछेदेणं अवि होज्ज कालकरणं पुनरावती नविय तेसिं (२०७१) पिंडेसपा उ सत्त उहवंति पाणेसणा दुसत्तेए चउ सेञ्जवस्थपाए तिण्णेते चउक्कगा होति (२०७२) दोण्णादिमा उ सतसुअवणेउंसेस उवरिमा पंच अद्धद्ध होति छेदे दो दोअवणे चउक्केसु (२०७३) गेहंति उवरिमासुतस्य अविधेतु अन्नतरियाए हेडिल्लासु न गेण्हति जइवि करे कालकिरियं तु (२०७४) अणभिग्रहेण नविता गेण्हेति विही उएस जिनकप्पे अहुणा उ घेरकप्पे वोच्छामि विहि समासेणं (२९७५) गहणे चउब्बिहम्मि वितिए गहणं तु परमजतेणं जंपाणबीयरहितं हविज तरमाणए सोही (२०७१) गहणं चउव्यिहंती यतां पायं च सेझं आहारो एतेसि असतीए गहणं पढमं तु बीयस्स (२००७) बितियं पातं मन्नति किं कारण तस्स गहण पटसंतु तेण विण बोउिपडिमा गिहिभायणभोगो हाणीय (२०७८) अहवा चउव्विहं तू असणादीतत्य होझ गहणं तु तत्य उ वितिय पाणं तस्स उ गहणं पढमताए।। ॥२०७०||* ॥२०७१॥ ॥२०७२॥ ||२०७३॥ ||२०७४|| ॥२०७५||* ।।२०७६|| ।।२०७७॥ ॥२०७८॥ For Private And Personal Use Only

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