Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 123
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२० पंचकप्पो - (१८८१) ||१९८९॥ १९९०||* ॥१९९७॥ ॥१९९२ १९९३|| ||१९९४॥ ॥१९९५॥ ॥१९९६॥ ॥१९९७॥ (१८८१) जइ कारणेण केणई निक्खितो तो सि उक्खिय पुणोवि ___ अह दप्पा निक्खित्तो तो न उ उक्खिप्पती पुझो (१९९०) उद्दिम्मिय अंगे सुयखंधम्मिय तहेव अज्झयणे आसन पुरिस कारण तिवाणे होइ पडिसेहो (१९९१) अंगादी उद्दिष्टे पुरिसं दखूण अपरिणामादी अच्छति वसट्टराया दिहि अविणीयादी वनाऊणं (१९९२) ताहे निखिप्पति ऊ तिहाणे जंतु भणिय पडिसेहो तं सुत्तमत्यतदुभय एतेसिं तिण्ह पडिसेहो (१९९३) एसुद्देसणकप्पो अहुणा बोच्छं अणुण्णकप्पंतु कम्ही काले गहणं वत्थादीणं अणुण्णातं (१९९४) वत्थंपादग्गहणे वासापासेसु निग्गमो सरदे तिगपणगसत्तयदुगाउयम्मि अप्पोदगं जाणे (१९९५) यत्यादीणं गहण नाणुण्णातंतु होइ यासासु वासादीऍ परेणं दुमासे अण्णे उ गेण्हति (१९९६) तेसि पुणणेताणं सरदे जइ दोण्ह गाउयाणतो गसंघटजहाणेण तिणि पंचेव मज्झिमगा (१९९७) सत्तेवउ उक्कोसा गिम्हम्मी तिणि पंच हेमंते वासासु य सत्त मवे परेण खितंनऽणुष्णातं (१९१८) अप्पोदगत्ति मग्गा जंतं रीयासु वणियं पुब्धि तं अद्धद्धे जोयण दगघट्टा जावसत्तेव (१९९९) वत्यंपायागहणे नवसंघरणम्मि पढमठाणम्मि एत्तो वइक्कमम्भिउसहाणासेवणा सुद्धी (२०००) पढमं ठाणुस्सग्गो तेणतू नवसु होइ खितेसु यत्यादीणं गहणं तत्येव य होइ उविहारो (२००१) नवठाणाइकमे पुण हयती सहाणओ विसुद्धोउ किं पुणतं सटाणं अवयादे असति तो होइ (२००२) अवदादेणं गहणं उस्सग्गो चेव होइ सोताहे गेहंतस्स उ कारणे सुद्धी तह चेव बोद्धव्या (२००३) जह गिण्हंतुस्सगे सुद्धी उवहिस्स एव बितिएणं गेण्हंतस्स विसुद्धी सहाण एवमक्खातं । (२००४) अहवावि इमे अन्ने नव उठाणा वियाहिया दव्वाईया उइणमोवोच्छामि अनुपव्वसो (२००५) दवे खेतेय काले यवसही भिक्खमंतरे सज्झाइए गुरुजोगी एते ठाणा वियाहिया (२००५) दव्वाणाहारादिणि जादितु सुलभाईतम्मि खेत्तम्मि खित्तं विच्छिन्नं खलु यत्तेतसुणेंतगगणस्स |१९९८॥ ॥१९९९।।* ॥२०००। ||२००१॥ ॥२००१॥ ॥२००३॥ २००४॥ २००५॥ 1॥२००६॥ For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164