Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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गाहा-८६०
1८६०।
॥८६१D
||८६२|*O
11८६३||*
M८६४||
1८६५॥
||८६६॥
||८६७०
(८६०) उग्गमम्मिय मण्णाति पापिच्चे यपवाहणे
तेरिच्छयाहए चेव तहा तेणाहडेतिय (८६१) अन्नाणोयहडे चेव मालोड अरखिए
कते यकारिते चैव बंधणेय विराहणे (८६२) विवत्रकरणे चेय एमेता पडिवत्तिओ
एते पतेय उवघातो उवहिस्स तु वीसती (८६३) उग्गमेणं तु अस्सुखं तहा उप्पायणेसणा
उवहिं उयहतं जाणे चोच्छामि परिक्कमणे (८६५) परिकम्मेण घउभंगो कारणे विहि बितीओ कारणे अविही
निकारणम्मि य विही चउत्थ निक्कारणे अविही (८१५) गग्गरदंडीवेलतिगखीलगमादी य होति अविहीउ
निकारणमितीय तु परिक्कमेयम्मि उवधातो (८६६) माणस्स विपरिकम्मं निम्मोयणलेवसिब्बणादीय
निक्कारणमविहीए कुणमाणो होति उवधातो (८६७) अतिरं तु बाहिं बाहिं अभितरं करेमाणो
परिभोगविवज्ञासे उवघातो होति नायव्यो (८६८) नियगोवहिपरिभोगं समणुण्णाणं न देति कझम्मि
जो भंडमच्छरीयत्तणेण उवहिस्स उवघातो (८६९) यतियारे परिहारिय वत्थं पादं च जो गहेऊणं
पुनेवि तम्मि काले अणपुच्छ धरेंत उवयातो (८७०) लोइय लोउत्तरियं परियट्टिय जो तु गिण्हती उवही
उग्गमदोसअसुद्धं च उवहतं तंतुनायव्वं (८७१) अन्नगणमागतस्स तु जस्स उ उवहिस्स उग्गमोननले
सोऊणं परिमुंजति उप्पायंते व नायम्मि (८७२) पामिछ उजुपगं उच्छिपणं चैव होति नायव्यं
लोइय लोउत्तरियं तु उवहतं तं वियाणाहि (८७३) 'अन्न यहंते असंते दिण्णे साहुस्स अण्ण जदि वाहे
तंतु पवाह नदोसा उवही तू उवहतं जाणे (८७) सुणएण वाणरेण वजह रूवगमादि हरितुमाणीतं
नरतेमाणीतं या गेण्हतं उवहयं जाणे (८७५) अन्नाणोवहतो खलु वत्थादि अकप्पिएणजो गहिओ
__ मालोहडो तु उवही ओलइओजो तु वेहासे (८७६) अणरक्खिओति सुण्णं उपही मोत्तण जो उगछेज्जा
भिक्खादीणऽहाए सोऽवि य उवहिस्स उवघातो (८७७) सयमेव करे उवही निसेजादी सोऽवि उवहतो होति
कारेइवअण्णेणं उवघातो सोऽवि बोद्धव्वो
॥८६॥
11८६९||
।।८७०१०
१८७१10
1८७२|10
11८७३||
11८७४00
॥८७4110
॥८७६॥
॥८७७||
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