Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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पंचकप्पो - (१९४)
॥९१४॥
१९१५॥
॥९१६॥
॥९१७||
॥९१८॥
॥९१९॥
॥९२०॥
॥९२१॥
॥९२२॥
(९१४) एगादेगुत्तरिया पदसंखपमाणओ ठवेयन्या
गुणगारभागहारा तेसिं हेट्टा उ विवरीया (९१५) पढम रूवं गुणए भागंच हरे हवेमजं लद्धं
तम्मिवि पडिरासितगुणितमाइएजं भवे लद्धं (९१६) एवं ठाणं ठाणं पडिरासियगुणितभजियलद्धाई
एगादीसंजोगाण होति संखप्पमाणाई (११७) एक्कादीसंजोगाण होति एवं तु लक्षणं दिटुं
एते सब्बे मिलिता तेसईि होति संजोगा (११८) एक्कगसंजोगादिसु उप्पजते उजत्तिया भंगा
तेसिं संखाणयणे करणं तुइमंमुणेपच्वं (११९) एक्कगसंजोगादिसु जत्तियमित्ता हवंति ठाणा उ
तत्तियमेत्ता दुयगाठावेयव्या कमेणं तु (९२०) पडिरासिय पडिरासिय अण्णोणेणऽब्मसाहि ते दुयगा
जावंतिलं ठाणं गुणि एवं जा भवे संखा (९२१) एक्कगसंजोगादिसु एक्केक्के भंगसंख तावतिया
सच्चिय एक्कादीहिं पुनरवि संजोगसंगुणिता (९२२) पत्तेयं पत्तेयं एक्कगमादीण सव्वजोगाणं
सा होति मंगसंखा जहक्कमेणं मुणेयव्या (१२३) कह मंग भवंतेत्यं मण्णति दिखेकक अहव बहुया उ
मुंडावणादि एवं दुतिचउमंगादिचारणिया (१२४) पद्ययहेतुं तहियं पत्यारो होति पत्थरेयव्यो
इमिणा उ लक्खणेणं तमहं योच्छं समासेणं (१२५) भंगपमाणायामो गुरुओ लहुओय अक्खनिक्लेवो
मत्ता दुगुणा दुगुणो पत्यारे होति निक्खेवो (१२६) एवं तू पत्थरिए पिच्छसु एक्कादिए उसंजोगे
जेजत्थउनिवडंति पच्चक्खं ते तहिं सब्वे (१२७) छक्कगसोलसगाणं जीवमजीवाण दोण्ह कपाणं
एक्कगसंजोगादीणं संखपमाणं इमं होति (१२८) छ छवय पन्नरसा यीसा पारस छक्क एक्को य
एक्कगसंजोगादी छब्बिहसचित्तकप्पम्मि (९२९) सोलस वीसंच सय पंचेव सयाइं होति सहाई
अट्ठारस वीसाइतेयालं अट्ठसहाई (९५०) अटेव सहस्साई अट्टहियाईअजीवछट्टम्मि
एक्कारसय सहस्साचत्तारि सया तहा यत्ता (१३१) बारस चेव सहस्सा अडेय सया उसत्तराहोति
अट्ठमसंजोगम्मिवि उक्कमतो एवजावेक्को
॥९२३॥
॥९२४॥
।।९२५॥
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॥९२८॥
॥९२९।।
॥९३०॥
॥२३॥
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