Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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गाहा-१२११
॥१२१९॥
१२२०||*
॥१२२१
॥१२२२॥
||१२२३॥
॥१२२४||
॥१२२५॥
॥११२६॥
॥१२२७॥
(१२११) बायणगुणा तु एते समासओ वण्णिता मए कमसो
यायणविहिं तु एत्तो वोच्छामि अहाणुपुच्चीए (१२२०) अत्ताण परिस पुरिसंहितऽनिस्सिय परिजितं जियंकाले
दिद्वत्वं फुडवंजण निव्वायण निव्वहणसुद्धं (१२२१) तवुसी गंधियपुतो रन्नो रयणधरिए दोभासे
देवीआभरणविही दिलुता होति आयरिए (१२२२) अत्ताणं तुतुलेती सत्तो मिन वत्ति वायणं दातुं
जाणेजा पुरिसेऽविय जो धेत्तुंजत्तियं तरति (१२२३) बहुयं घेत्तु समत्ये बहु देंती अप्प गिण्हते अप्पं
विचामेलणदोसो अतिबहुते तस्स दिजंते (१२२४) परिणाम अपरिणामा अतिपरिणामा यतिविह पुरिसातु
नाऊणं छेदसुतं परिणामगे होति दायव्यं (१२२५) इह परलोगेय हितं अनिस्सियंजंतु निसरडाए
न उ वाइ गारवेणं आहारादी तदट्ठाए (१२२६) उक्कइतोवइयं परिजियंतु जिय एव अगुणयंतेवि
कालित्ति कालियादी कालोजोजस्स तं तहियं (११२७) जस्सविजाणति अत्यं दिकृत्यं तं तु मण्णती सुत्तं
फुडवियडवंजणंतू ययणविसुद्धं मुणेयच्वं (१२२८) तं होती निव्ववणं जो वाएंतो तु ल्हादि उप्पाए
निव्वहणसुत्तमेयंजो अक्खित्तो उ निव्यहति (१२२१) तउसारामे तउसे पुव्वं न पलोएँ आगते कइए
जाव पलोए ताव तुकह विपरिणत असहि गिण्हे (१२३०) एवंजो आयरिओ पुढो संतो विचिंतयति अत्यं
विप्परिनमितुंतस्स तु सीसा वचंति अप्रत्य (१२३१) जह मुलअणामागी आरामी सो तर्हि तुसंयुत्तो
तह निझरअणभागी आयरिओ होति एवं तु (१२१२) जेण पुण पुष्यदिहातउसा आरामिएण होतितहि
सो देति लहुं तउसे मुलस्स यहोति आभागी (१२५३) एवं आयरिएणजेणऽत्यो पुचि चिंतिओहोति
सोवाएति लहुलहुं निञ्जरमागीय होएवं (१२५) एमेवगंधिपुत्ते जाणमजाणेय गंधमाणे तु
आभागी अणमागी उवसंधारोऽविय तहेव (१२३५) सेणियनिवस्स हत्यी तंतुयमच्छेण गहिओ जलमझे
सिरिधरिओ दओमासं मग्गिओनवि जाणि कत्यकओ (१२५६) जामग्गति ता हत्यी पडितोरण्णा विनासिओ धरिओ
बितिओमग्गितो दिनंमितक्खणा मोइते पूया
॥१२२८॥
॥१२२९॥
||१२३०॥
॥१२३२॥
।।१२३२॥
||१२३३॥
. ॥१२३४॥
॥१२३५॥
॥१२३६॥
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