Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 86
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गाहा-१३२७ - ॥१३२७॥ ॥१३२८॥ १३२२॥ १३३०॥ ॥१३३१ ॥१३३२॥ ॥१३३३|| ||१३३४॥ (१३२७) दुविहे कितिकम्मम्मी वाउलिया मोनिसहबुद्धीया आदिपडिसेधियम्मी उवरिं आलोवणा बहुला (१३२८) मुक्कधुरा संपाडग सेवीचरण करण पट्टे लिंगावसेसमिते जं किरइंतं पुणो वोच्छं (१३२९) वायाए नमुक्कारो हत्युस्सेहोय सीसनमणंच संपुच्छणऽच्छणं छोभयंदनं वंदनं यावि (१३३०) एतार्ति अकुव्बंतोजहारिहं अरिहदेसिए मग्गे न पवइ पवयणमत्ति अमतिमंतादओदोसा (१३३१) परियाव महादुक्खे मुच्छामुच्छे य किच्छपाणे य किच्छुस्सासे य तहा समोहते चेव कालगते (१३३२) चत्तारि छच लहु गुरु छेदो मूलंच होति बोद्धव्यं अणवठ्ठप्पे य तहा पावति पारंचियट्ठाणं (१३३३) परियाग परिस पुरिसंखेतं कालागमंच नाऊणं कारणजाएजाए किइकम्मं होइ कायव्यं (१३३४) दंसणनाणचरित्तं तवविनयंजत जित्तियं जाणे जिणपत्रत्तं मत्तीऍपूयएतंतहा पायं (१३३५) सावजजोगविरइत्ति संजमो तेण होइ एगविहो रागद्दोसनिरोहत्ति तेण दुविहो मुणेयब्बो (१३५६) मणवयणकायजोगाण निरोहो तेण होति तिविहो तु कोहमयमायलोभुवरतोत्तिवउहा स नेयव्यो (१५५७) पंच वय इंदियाणिय पंचह सराई विरतिछककाया यतकायअकप्पकप्पादी अट्ठारसाहा मुणेयव्यो (१५३८) जोगे करणे सण्णा इंदिय मोमादि समणधम्मे य अट्ठारससीलंगसहस्स संजमो होइ नातव्यो (१३५१) कितिकमंपिय दुयिहं अब्मुडाणं तहेव वंदणयं समणेहि यसमणीहि य जहक्कम होति काययं (१३४०) सव्याहिं संजतीहिं कितिकमसंजताण कायन्वं पुरुसुत्तरिओधम्मो सव्यजिणाणंपितित्यम्मि (१३४१) पंचनामो यधम्मो पुरिमस्स यपच्छिमस्स य जिणस्स मझिमयाणजिणाण चातुजामो भवे धम्मो (१३४२) पुरिमाण दुब्बिसोझो चरिमाणं दुरणुपालओ कप्पो मज्झिमगाण जिणाणं सलुविसोझो सुरणपालो य (१३४३) पुत्वं तु उवष्टविओजस्स वसामाइतं कतं पुव्वं सो होति जेदो खलु जो पच्छा सो कणिवो तु ॥१३३५॥ 11१३३६॥ ॥१३३७॥ ॥१३३८|| ॥१३३९॥ ॥१३४०। ।।१३४१॥ ||१३४२॥ 119३४३॥ For Private And Personal Use Only

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