Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 85
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ८२ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १३०९) जन्हा विनयइ कम्मं अट्ठविहं चाउरंत मुक्खाए तम्हा उ वयंति विउ विनउत्ति विलीन संसारा (१३१०) पुव्यामेव य विनओ० (१३११) आयार विनय कप्प गुणदीवणा अत्तसोही उड्डुभावो अजव मद्दव लाघव तुट्ठी पल्हायकरणं च (१३१२) लहुओ गुरुओ मासो लहुगा गुरुगा भवे चउम्मासा खुग भिक्खू वसमे आयरिए अदुव विवरीयं (१३१३) जदिखुत्तो जदिवेलं निक्खमए निक्खमित्तु वा एति तदिखुत्तो तंबेलं सव्वे गुरुणी समुट्ठति ( १३१४) वसहीय भिन्नमासो काइयभूमीय मासियं लहुयं चत्तारिय सुक्किलया ओगाहंतस्स बहियाए ( १३१५) भिक्खुवसभायरिया अज्जा ओवासगा य इत्यीओ वादी राया संघो राया संघो उभयओवि (१३१६) लहुओ गुरुओ मासो लहुगा गुरुगा भवे चतुम्मासा छम्मासा लघुगुरुगा छेदो मूलं तह दुगं च (१३१७) वंदण चिति कितिकम्पं पूयाकम्मं च विनयकम्पं च कायव्वं कस्स व केण चावि काले व कतिखुत्तो (१३१८) कतिओणयं कइसिरं कइहिं च आवरसएहि परिसुद्धं कइदोस विप्पमुक्कं किइकम्पं कीसकीरइ वा (१११९) सेढीसमतीताणं कितिकम्पं जेय होति सेढिगता सेढियबाहिराणं कितिकम्मं होति मइयव्वं ( १३२० ) आयरियउवज्झाए पवित्ति पत्तेयबुद्ध पुव्वधरे केवलनाणधरम्मिय कायव्यं निजरट्ठाए (१३२१) सेढीठाणे सीमाकजे चत्तारि बाहिरा होति सेढी द्वाणे दुगभेद पाय चतारिवी मइया (१३२२) पत्तेयबुद्ध जिनकप्पिया य सुद्धपरिहारिया अहालंदा एते चतुरो दुग दुग भेया कजेसु बाहिरगा (१३२३) अंतोवि होति भयणा ओमे आवण्ण संगती सेहे बार्हिपि होति भयणा अतिवालग वायए सीसो (१३२४) हेद्वाणठितोऽवि हु पावयणि गणट्ठिताए अवरम्मि कडजोगि सण्णिसेवति आदिणियंठोव सो पुत्रो (१३२५) संकिण्णवराहपदे अणाणुतावी य होति अवराहे उत्तरगुणपडिसेबी आलंबणयजिओ वज्जो (१३२६) गच्छपरिक्खणट्ठा अणागतं आउवायकुसलस्स एसा गणाहिपतिणो सुहसीलगवेसणा भणिता For Private And Personal Use Only पंचकप (१३०९ ) = ॥१३०९॥ ॥१३१०॥ 11939911 ॥१३१२॥ १।१३१३१ ||१३१४ || १।१३१५ ।। ॥१३१६|| ॥१३१७।। ॥१३१८।। ॥१३१९॥ 11932011 ।।१३२१ ॥ ॥१३२२॥ 11933311 ।।१३२४।। 11933411 ||१३२६॥

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