Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 96
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गणा-१५०५ ॥१५०५॥ ॥१५०६॥ ॥१५०७॥ ॥१५०८॥ ||१५०९॥ ॥१५१०॥ ।।१५११॥ ॥१५१२॥ ॥१५१३॥ राइभोयणछटेहिं बारसय छउन्बीसाछत्तीसा अडयालमेव सट्ठीय बात्तरी उ एसो संजोगविही मुणेयव्यो (१५०६) बारस य घउव्वीसा छत्तीसऽडयालमेव सट्टी य बावत्तरी बिगुणिया चोयालसयंतु संजोगा। (१५०७) बारस य चउब्बीसा छत्तीसऽडयाल चैव सट्ठीय बावत्तरि छग्गुणिया चत्तारिसया उबत्तीसा। (१५०८) जस्सेते संजोगाउवलद्धा अत्यतोयविण्णाया सो जाणती विसोहि उवधायं चेव संभोगे (१५०१) जस्सेते संजोगाउयलद्धा अत्यतो य विनाता निज्यूहिउं समत्यो निझूटे यावि परिहरिउं (१५१०) सरिकप्पे सरिछंदे तुलचरित्ते विसिट्टतरए वा __ आयत्ति भत्तप्पाणं सएण लाभेण या तुस्से (१५११) सरिकप्पे सरिच्छंदे तुल्लचरिते विसिट्टतरए वा साहहिं संयव कुञ्ज नाणीहिं चरित्तगुत्तेहिं (१५५२) ठितकप्पम्मि दसविहे ठवणाकप्पे य दुविहमन्नयरे उत्तरगुणकप्पम्मि यजोसरिकप्पोस संमोगो (१५१३) सतविहकप्पओसो समासओ वण्णिओ सविमवेणं एत्तोदसविहकप्पं समासओ मे निसामेह (१५१४) कप्पपकप विकप्पे संकप्पुवकप्प तह य अनुकप्पे उककप्पेय अकप्पे तहादुकप्पे सकप्पेय (१५१२) गच्छाओ निग्गयाणं जिनकप्पियमादियाण कप्पो उ तंचसमासेण अहं उल्लिंगेहामि इणमोउ (१५१६) पिंडेसण पाणेसण उग्गह उद्दि भावणा चैव बारस य भिक्खु पडिमाएबमादी भवे कप्पो (१५१७) पिंडेसण पाणेसणपंचुदरिमया समिगहेगा य सेसासुय अग्गहणं सेजोगह उररिमा दोसु (१५१८) उद्दिट्टित्ती हेट्ठा जिनकपविही उ जो समक्खाओ खेते कालचरिते इचाइ तहेवइहइंपि (१५११) पणुवीस मावणाओ महब्बयाणंतुहोति पंचण्हं बारस अणिचयादी तवसुत्तादीय पंचेव (१५२०) एयाहि भायणाहिं भावेंती ते उनिधमप्पाणं सब्वेऽविगच्छनिग्गय वेरगपरायणा धीर (१५२१) बारस भिक्खूपडिमाआदिग्गहणेण लंदिया चैव तहसुद्धपारिहारी सव्योऽवेसो भवे कप्पो (१५२२) निच्छय निरास निम्ममनिरहंकार परमहददजोगी चत्तसरीरकसायो इंदियगामा य निगहिया ॥१५१४॥ ॥१५१५॥ ॥१५१६||* ॥१५१७॥ |१५१८॥ ॥१५१९॥ ॥१५२०॥ ॥१५२१॥ १५२२|* For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164