Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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पंचकप्पो - (१२)
१२७३॥
11१२७४॥
॥१२७५॥
॥१२७६॥
॥१२७७॥
१२७८॥
॥१२७९॥
१२८०॥
|१२८१||
(१२७३) एतेहिं दसहिं ठितो ठितकप्पो होति तमुणेयव्यो
एउहि ठितो छर्हि अठितो अष्ट्रिकप्पो पुण इमेहि (१२७४) सिखातरपिंडे या कितिकम्मे देव चाउजामेय
राइणियपुरिसजेट्ठो चउसुविएतेसु होति ठितो (१२७५) आचेलुककुद्देसियनिवपिंडे चेव तह पडिक्कमणे
मासं पोसवणा छप्पेतऽणवहिता कप्पा (१२७५) दुविहो होति अचेलो संताचेलो यऽसंतचेलोय
तित्थकर संतचेला असंतचेला भवे सेप्ता (१२७७) दुविहो होइ अचेलो पडिमाचेलो तहा परिचण्णो
पडिमाचेलो दुविहो सायेक्खो चेव निरवेक्खो (१२७८) निगणो अचोलपटो निरयेक्खो सो भवे अवेलोउ
निगणोतचोलपट्टोसावेक्खो सो पुण अचेलो (१२७९) निगिणो निव्वसणो अवसणो अचेलोय अकडिपडोय
पडिमावेलस्सेए नामा एगद्विया होति (१२८०) उग्गमउप्पायणएसणाएजदिहुंति अपरिसुद्धाई
मोल्लगरुयाणि ताणि तु अपरिअण्णाइंचेलाई (१२८१) उग्गमउपायणएसणाएजदिक्षुति सुपरिसुद्धाई
मोल्ललहुयाणि ताणि तु परिजुण्णाइंतुचेलाई (१२८२) एत्तो सावञ्जाइंचेलाई संजमोवघातीणि
वञ्जित्ता विहरंतो होइअचेलो अपरिजुण्णो (१२८३) निग्गहितरागदोसो अणवजेहिं अहापरितेहिं
अप्पेहिवि विहरतो हीति अवेलो उपरिजुष्णो (१२८१) निरुवहतलिंगभेदे गुरुगा कप्पइय कारणजाते
गेलण्णरोगलोए सरिरविवेगे य कितिकम्मे (१२८५) असिवे ओमोदरिए राय द्वे पवादिदुढे वा
आगादे अण्णलिंगंकालक्खेवो व गमणवा (१२८६) सालीघतगुलगोरस नवेसु वल्लीफलेसुजातेसु
दाण करणसट्टा आहाकम्मे निमंतणता (१२८७) आहा अहेयकम्मे आयाइमेय अत्तकम्मे य
तंपुण आहाकम्मं नायव्यंकपती कस्स (१२८८) संघस्स पुरिमच्छिमसमणाणं तहय वेव समणीणं
चउरो उवासगाणं पच्छासण्णायगागमणं (१२८१) संघस्स मज्झिमे पच्छिमे यसमणाण तहयसमणीणं
चउरो पहिस्सताणं पच्छा सण्णायगागमणं (१२९०) उजुयजडा सव्वे पुरिमा घरिमा यवक्कजाउ
तम्हातेसिं संरक्खणड सव्वं पडिकुटुं
||१२८२॥
॥१२८३॥
1॥१२८४॥
॥१२८५]
॥१२८६॥
||१२८७||
॥१२८८॥
।।१२८९॥
॥२९॥
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