Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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८८
पंचवप्पो - (४१)
11१४१६॥
||१४१७॥
||१४१८॥
॥१४१९॥
||१४२०॥
||१४२१॥
१२२॥
||१४२३||*
11१४२४॥
(mm) अनुसदि दाऊणं तहिं पसत्यम्मितिहिमुत्तम्मि
अहसणिहितं संघ असति गणंतं समाहूयं । (१४१७) जिनवर-पादसमीये पडियझे गणधराण व समीवे
चोद्दसपुब्बी तह चेइए असतीय घडमादी (m) यामाव हारविजदा काउंगहणं च गाहणंदेव
सुत्तत्यझरियसारागेण्डंति अभिगाहे धीरा (१४१५) जिनकप्पियपाउग्गा अभिगहा गिण्हतीन अन्नउ
जिनकप्पो केरिसस्सा कप्पति पडिवजिउंसुणसु (१४२०) कप्पे सुत्तत्यविसारयस्स संघयणयिरियजुत्तस्स
एतारिसस्स कप्पति पडिवजिउ होति जिनकपो (१४२१) जिनकप्पे संघयणं मणितं पढमंतु होति निपमेण
विरियं तु भण्णति धिती तीऐं जुतो यजकुछसमो (१४२२) कोति पुण न पडिवजे सो पुण नियमाउ कारणेहिंतु
काणि पुण कारणाणि य इमाइंताई निसामेह (२३) देहस्स दुबलतं आयरियाणं च दल्लभपसादा
रोगपडिबंध नसहति सीउपहादी य पडिभागी (१४२४) सुत्तत्याणिविधेत्तु दुबलदेहो तुतं न चाएति
गुरुणंच अननुकूलतणेण नाराहिओ सूरी (१४२५) आयरिया अपसण्णा सुत्तपसायंतु ते न कुवंति
नाहीतं तेण सुतंजावइएणंतु पञ्जतो (१२५) सोलसयिहरोगाणं अहवा गाद अभिट्ठएणंतु
नाधीतं होजसुतं ते य इमे यण्णिता रोगा (२७) कासे सासे जरे दाहे जोणीसूले भगंदले
अरिसा अजीरए दिट्ठी मुद्धसूले अकारए (१४२८) अच्छिवेयण तह कण्णवेयणा कंडु कोढ दगऊरं
एते ते सोलसवी समासतो वणिता रोगा (१४२१) अण्णो पडिबंघेणं गुरुकुलवासं न वेव आवसई
तेणं नाहिअति ऊ के पुणपडिबंधिमे सुणसु (१४३०) सो गामो सा वइयातं भत्तं महओ जणोजत्य
एताइंसंभांतो गुरुकुलवासं न रोएति (१४) सक्कारो संमाणो पूजइमे भोइओ तहिंगामे
___ आयरिओ महतरओएरिसता से तर्हिसड्डा ( १२) सचंदुद्वाणनिवअणस्स सच्छंदगहितभिक्खस्स
सच्छंदजंपियस्सयमा मे सत्तूविएगागी (१९५३) एएहि ऊ अभागी सीताईणं न देति उ उरंतु
तोनाहिज्जति सो ऊ गुरुकुलवासं असेवंतो
11१४२५॥
||१४२६॥
11१४२७॥
11१४२८॥
||१४२९॥
1१४३०॥
११४३१॥
॥१४३२॥
||१४३३॥
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