Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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(१३४४) पुव्वोवट्ठो जेट्ठी होइत्ती इत्थ होति पुच्छा उ उवठावणा तु कतिहि ठाणेहिं इमा पवे दसहा (१३४५) ततो पारंचिता वृत्ता अणवद्वप्पा तु तिण्णितु दंसणम्मिय वंतम्मि चरित्तम्मि य केवले (१३४६) अदुवा चियत्तकिचे जीवकायं समारभे सेय दस चुते जस्सुवद्वावणा भणिता (१३४७) अहवा पारंचेकूको अणयद्वप्पो य होति एक्को य दंसणवंतो ततिओ चरिते य चतुत्थओ (१३४८) पंचमो चियत्तकिच्चो सेहो छट्टो य होति बोद्धच्चो एसो य छव्विहो खलु चउव्विहो वा इमो अण्णो (१३४९) दंसणम्मिय वंतम्मि चरित्तम्मिय केवले चियत्तकिचे सेहे य उवट्टप्पा तु आहिया (१३५०) दंसणचरितवंते पारंचऽणववडओवि पविसंति ते जेण भवंती उ एवंएसा भवे चउरो (१३५१) दंसणवंते य तहा जीवनिकाया य जो समारभए उद्वावणाएँ भयणा एतेसि होति दोण्हंपि (१३५२) अणाभोएण मिच्छत्तं सम्मत्तं पुनरागते
तमेव तस्स पच्छितं जं सम्मं संजम पडिवज्जए (१३५३) आभोगेण उ मिच्छतं संमत्तं पुनरागते
जिणथेराण आणाए मूलच्छेखं तु कारए (१३५४) छण्हं जीवनिकायाणं अप्पज्झो तु विराहतो तिविहेण पडिक्कंते मूलच्छेऊं तु कारए (१३५५) छहं जीवनिकायाणं अणपतो तु विराहतो आलोइयपडिक्कतो सुद्ध हवति संजतो (११५६) जीवणिकायारंभे दंसणवंते य भणिय पच्छित्तं तं देय सुतविहिणा अण्णह देंते इमे दोसा (१३५७) अपच्छिते य पच्छित्तं पच्छिते अतिमत्तया
धम्मस्सासायणा तिव्वा मग्गस्स य विराहणा (१३५८) उस्सुत्तं ववहरंतो कम्मं बंधति चिक्काणं संसारं च पवड़्ढेति मोहणिखं च कुव्वति (१३५९) उम्मग्गदेसणाए मग्गं विष्पडिवायए परं मोहेण रंजतो महामोहं पकुव्यति
(१३६०) सपडिक्कमणी धम्मो पुरिसमस्स य पच्छिमस्स य जिणस्स मज्झिमयाण जिणाणं कारणजाए पडिक्कमणं
(१३६१) दुविहो य मासकप्पो जिनकप्पो चैव यविरकप्पीय
एक्केक्कोऽविय दुविहो अद्वितकप्पो य ठियकप्पो
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dammit - (1288)
||१३४४॥८०
||१३४५॥८
||१३४६ ||D
||१३४७/८
||१३४८ २०
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