Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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पंचगव्यो . (११२९)
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||११२९॥
।।११३०॥
1११३१॥
॥११३२॥D
॥ १३३॥
११३॥
॥११३५॥
११३६
॥११३७||*
(११२१) ततियाए पोरसीए मिक्खागहणं तु होति कायव्य
संचपमाणादी होति इमंतु समासेणं ।। ल७६ (१११०) पमाण काले आवस्सए य संघाडए य उवगरणे
मत्तग काउस्सग्गेजस्सयजोगो सपडिवक्खो (११३१) भत्तट्ठीणपि ओहेजह भणित तहेव होति एत्यंपि
एक्कं वेलं मत्तं रतिघणकप्पए मोतुं (१११२) कालस्स पडिकसितुंमज्झण्हे ताहे होति गंतव्वं
वीयारं पोत्तूण वसेस अकालो उघीयारे (११३३) घउसंझासुन कपति सम्झाओ तासिमंतु कायब्वं
पुष्यावरासु दोसुवि काउस्सगठिता प्रति (1147) दिनमज्झाए मिक्खं शाति अमत्तहिती तुजो साहू
राओ मज्झिालाओ निद्दामोक्खंकरिती उ॥ल ७९ (११३५) निक्खमणं खलु सरए पाउसकाले पवेस पुव्युतो
एसो तु कालकप्पो मावे कप्पं अतो वोच्छं (११३६) देसणनाणधरित्तेतवसंजमसमिइपंचहिं गुत्तो
हतरागदोस निम्ममखमदमणियमविओ निच्छ । (११३७) अणिमूहियबलविरितो परक्कमति जोजहुत्तमाउत्तो
अतटकरणजुत्तोगुणभावणभावनिक्कंपो (११५4) रिद्धीहिं कुलिंगीणं न य देयातीहिं जस्स तूभावो
दसणविगलो जायति दसणमाराहियं तेणं (111) नाणं दुवालसंग ते चेव य पवयणंतु संघो वा
गहणम्मी उजुत्तो परतो तह वच्छलो यावि (११४०) चरणे निचुजुत्तो मूलगुणेसुंसउत्तरगुणेसु
नय अतियारं कुणती पच्छितेणं व सोहिकतं (111) तयबारसंगजुत्तो समितीसहितो तिगुत्तिगुत्तोय
रागहोसनिहंता निम्ममो नियते सरीरेऽवि (Him२) कोहं जिणति खमाए मद्दवमादीहिं सेसकलुसेऽवि
दमनियमा दोऽवेक्कं इंदियनोइंदिया होति (११४३) नाणादिएहिं अणिगृहितोतुकम्मस्सनिअराए
उज्जमति परक्कमती घडइत्तिय होति एगट्ठा (१४) जह सुत्ते निहिटो तह कुव्वति जोतु अप्पमाएंतो
सोहुजहुत्तो साहू नूणं मतिमं वियाणिज्जा (११४५) अत्तहा मोक्खट्टान तुइहलोगादिहेतुगंकुणति
करणंजोगतिएणंजयणाजुत्तोत्ति अववादे (१४६) मूलगुण उत्तरे याभावण पणवीस अणिद्ययादीया
मत्तीपमोयकारुण्णमज्झत्यादीहिं निक्कंपो
।।११३८॥
1॥११३९।।
॥१४॥
||११४१॥
॥११४२॥
19१४३॥
॥११४४॥
19१४५॥
19१४६॥
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