Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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(१०९१) भणिओ य धेरेण समाणेणं कारणजातेण एतिओ कालो अजाणं पणगंपुण नवगग्गहणं तु सेसाणं
(१०९४) निम्मवणट्ठा एतेसिं चेव एवं तु कारणज्जायं जेहिं गुणेहिं जुत्ता दिजंते ते इमे होति
(१०९५) जे गिव्हिउं धारयितुं च जोग्गा थेराण ते दिंति बिइजए तु गिण्हंति ते ठाणठिता सुणं किचं च थेरस्स करेति सव्वं ( १०९९) आसज्ज खेत्तकालं बहु पाउग्गा न संति खित्ता उ निच्चं च विमत्ताणं सच्छंदादी बहू दोसा (१०९७) जह चेव उत्तिम कतसंलेहस्स ठाति एमेव
तरुणपडिक्कम्मं पुण रोगविमुक्के बलविवढी (१०९८) बुड्ढावासातीए कालदी तेण उग्गहो तिविहो आलंबणे विसुद्धे उग्गहो तक्कजि वोच्छेओ (१०९९) जंकारण युड्ढीगतो वासो तर्हि कारणे अतीयम्मि मति पडिभग्गा जे उ आयरिए उग्गहो नत्यि
( ११००) दुविहेवि कालतीते मासे चउमास उग्गहे छिन्ने सच्चत्तादी छिष्णो आलंबणे तम्मि छिण्णम्मि (११०१) कारणसमत्ति पुरओ जो अच्छति उग्गहे तहिं होति सच्चित्तादी तिविहे न तस्स तहियं इमं नातं (११०२) आगासकुच्छिपूरी उग्गहपडिसेहियम्मि जो कालो न हु होति उग्गहो सो कालदुगे वा अणुष्णाओ (११०३) जह नाम कोति पुरिसो छाओ आकासकुच्छिपूरिच्छे न हु होति सोवि तित्तोऽमुत्तत्ता उवणओ एवं (११०४) कालदुवेत्ति अनुण्णा गिम्हाए जत्य धरममास कती अण्णत्त सतीए तत्थ ठियाणोग्गही होति (११०५) एमेव वासतीते दस राया तिणि जाव उक्कोसो वासणिमित्तठिताणं उग्गहो छम्मास उक्कोसो (११०३) तक्कअसमत्तीएवि रायदुट्टपरचक्क असिवादी तेहि कारणेहि तु उग्गही होतऽतीतेऽवि (११०७) एतेसु उग्गहेसुं आभव्वऽणभव्वक्त्ति भणिएसा अयमण्णोतु पगारी आभव्यमणामवंते य (११०८) सुहसीलऽनुकंपातट्ठिए य संबंधि खवग गेलपणे सच्चिते ससिहाए पट्ठिए धारण दिसासु (११०९) तणुयंपि नेच्कए दुक्खं सुहं चाकंखती सदा सुहसीलो एस अक्खाओ सातागारवणिस्सितो (१११०) सुहसीलयाए सेहं कोई पेसेज अण्णसाहूण पलिमंथं भण्णंतो दुक्खं खू सारवेउं जे
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पंचकप्पो (१०९३)
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॥१०९३ ॥
॥१०९४ ॥
॥१०९५॥
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।।११०१।।
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