Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
पाया-""
॥
११॥
॥१११२॥
||१११४॥
||१११५॥
(११:१) असहायस्स व देखा कोई अनुकंपयाएँ सेहंतु
__ आयट्ठीण व कोई पेसिज़ा धम्मसद्धाए (61१२) दिशा सिणेहओ या संबंधी अस्स कोति सचित्तं
खमगो सयं व होजा खमगस्स वपेसवेाहि (१११३) देह व गिलाणगस्सा वेयावहताए असहाए आहवा सयं गिलाणो अचएंतोसारवेजंजे
19१३॥ (१११४) पेर्सितस्स उससिहो असिहोपुण जस्स पेसिओ तस्स
एवं असंथरेणविपेसियओजह गिलाणेणं (१५१५) कह दातु पुणो मग्गति जम्हा सो अप्पमूतु दानस्स
ताहातस्सायरिओ मग्गतिप्तझंतियादी वा (११६) अहवाजाहे सयं विय सो सेहोजाव होति गीयत्यो तोजाणति आभव्यो अहयं पुव्विल्लयाणंतु
॥१११६॥ (१११७) उडुवासवुड्ढवासे एसो भणितो तु कालकप्पविही परिपायकालकपं एतोवोच्छ समासेणं ।
॥१११७॥ (11१८) को रातिणितो होती को वायी होति ओमराइणिओ भण्णति सुणसु विसेसं रातिणियओमरातीणं
॥१११८॥ (191) संजमसेदी अंतोजो उठितो सो भवेहु रायणिओ जो बाहिं सो ओमी एवं अतिसेसितो जाणे
1१११९॥ (१२०) तम्हाछउमत्याण जोपुव्वं ठावितो वएसुंतु
सो होती राइणिओजो पच्छा सो भये ओमो (११२१) सामइयसंजयाणवि सापइयंजस्स पुव्वमुचरितं सो होती रातिणितो इतरो ओमोमुणेयव्यो
॥११२१॥ (११२२) अनुस्सास जात्रो का उस्सग्गो उहोति बोद्धयो अट्ठसहस्सुक्कोसोअहया संवच्छरं वावि
||११२२॥ (११२३) पडिकमण देसिराइय पक्खिय चउमासि तहय परिसय एतेसि वक्खाणं पुढवं आवस्सए मणितं
॥११२३॥ (११२४) कितिकम्मं कायव्वं काहे कति वाऽवि होतऽहोरते
एतेति नाणत्तं वोच्छामि अहाणुपुव्वीए (११२५) पडिकमणे सम्झाए काउस्सग्गावराह पाहुणए
आलोयण संवरणे उत्तिमद्वेय वंदणयं (११२५) चत्तारि पडिक्कमणे किइकम्मा तिणि होति सझाए
पुल्यण्हे अवरहे किइकम्मा चोद्दसहयंति (११२७) सुरुगते जिणाणं पडिलेहणियाए आढवणकालो
येराणऽणुग्गयम्मी उवहिणा सो तुलेयव्वो (११२८) पढमचरिमासु नियमा सझाओ पोरुसीसु दियराओ
माणं तु अत्य ड्ढ पोरिसि बितियाए तं तु दिवसस्स . ॥११२८॥
११२०॥
॥११२४॥
||११२५॥
19१२६॥
19१२७॥
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164