Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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पाह-८२४
11८२४||
॥८२५॥
11८२६॥
॥८३७॥
॥८२८॥
॥८२९।।
।।८३०||
1123911
1८३२॥
(८२४) उगहऽनंतग पट्टोअद्धोरुग चलणिया यबोद्धव्या
अमितर बाहिणियंसणीय तह कंचुए चेव (८२५) उक्कच्छिय वैकच्छियं संयाडीचेव खंधकरणी य
ओहावहिम्मिएत्तोअजाणं पन्नवीसंतु (८२१) उक्कोसो अट्ठविहो मज्झिमतो होति तेरसविहो तु
घउह जहण्णो सोच्चिय जो जिनकप्पे समक्खाओ (८२७) पछादतियं उगहो नियंसणऽयंतरीय बाहिरिया
संघाडी खंघकरणीय अट्टहा होति उक्कोसो (८२८) पताबंधो पडला रयहरणं पादपुंछणं चेव
मत्ते य कमढ उग्गह नंते तह पट्टए चेव (८२१) अद्धोरुए चलणिया कंचुग उवकच्छितह विकच्छीय
एसो तु तेरसविहो मज्झिम उवही तु अशाणं (८३०) एसो तुओहिओयहि एत्तो सेसोतु होतुवग्गहिओ
संथारपट्टमादी तु नेगहा होति नायव्वो (८३१) दुविहोवहीविएसोजहक्कम वण्णितो समासेणं
एतो उउवेसणयं वोच्छामि अहानपव्वीए (८३२) भिसिगादि उवेसणयं वासारत्ते उ पाणदयहेतुं
वेहासट्ठा धिप्पइ तंचिय सावेगपस्सवणं । (८३५) विस्समणट्ठा घेराणंधेप्पती एत्तो वोच्छ सेझंतु
सेज्जा संथारो या एगट्ठे होति नायव्यं (८३४) सबंगिया व सिजा होति असव्वंगितो तुसंथारो
एगंगि अणेगंगी परिसाडी अपरिसाडीय (८३५) एतेसि सव्वेसिं अहिं दारेहि मागणा होति
पिंडनिजुत्तिगमेणं नेयं जहसंभवं सव्वं (८३५) निसियणहेतु निसेचा रयहरणपमाणओ गहेयव्वा
किं पुणधिप्पइसा तू मण्णति सुण कारणपिसेहि (८३७) पुरिसे पुढवि सरक्खे पच्छाकमे तहेव अचियते
बाउसपरिहरणाए संयारणिसेजऽणुण्णाता (411) राजदी पव्वइओ भूमीऐं अनंतरं निवेसंतो
विप्परिणमेजतेणंसंथारानिसेञ्ज पन्नता (८३९) मीससचित्तधराए अद्धाणादीसुमा विराहणता
उम्हाए पुढवीए तेण निसेज्जा य संथारो (८४०) एमेयय ससरक्खे सचित्ते संतरं भवे जयणा
सागारियं च इहरा धूलीउग्गुंडियसरीरो (४१) कजेण गिहिणिसेज्जागतस्स वस्यम्मि मइलिए गिहिणो
उप्फुसणधोवणादी कारेशा पच्छकमंतु
11८३३॥
।।८३४॥
||८३५॥
॥८३६॥
||८३७11*
८३८॥
||८३९॥
1८४०||
||८४१॥
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