Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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पंचकप्पो - (८०६)
||८०Ell*
॥८०७||
॥८०८॥
॥८०९॥
८१०॥
||८११॥
It८१२॥
||८१३||
।।८१४॥
(८०६) अहवा तिगत्ति असती अहाकडाणं तु अप्पपरिकम्म
तस्सऽसति सपरिकम्मं तं तु बिहीएइमाए तु.. (८०७) चत्तारि अहागडए दो मासा होति अप्पपरिकम्मे
तेण पर विपग्गेजा दिवड्दमासं सपरिकम्म (८०८) पुणसद्दो तिक्खुत्तो विमग्गियध्वं तु होति एक्केक्कं
एवं तु जुतजोगी अलभंते गिण्हती ततियं (८०१) अहवा असियोमेहिं रायडुडे व से गुरुणं वा
सेहे चरित्तसावयभए य तहियंपि गिण्हेक्षा (८१०) असिवादी पुद मणिता गुरू व मग्गे गुरू मणिजाहि
अच्छाहि ताव अजो तत्य तु ते कारण विदंति (८११) एतेहि कारणेहिं अहगडवजेण दोण्ह गहिताणं
छेदणमादी कुवंजयणाए ताहे सुद्धा तु (८१२) निक्कारणगहणे पुणविराहणा होति संजपायाए
छेदणमादीएसुंजा जहिं आरोवणा मणिता (८१३) तं पुण सपरीकम्मंजयणाए होति लिंपियव्बंतु
एतेण तुलेसेणं लेवग्गहणं तु वण्णेऽहं (८१४) हरिते बीजे चले जुत्ते वच्छे साणे जलद्वितै
पुढची संपाइमा सामामहवाएपहिया इमे (८१५) एवं लेवग्गहणं जहक्कम वणितं समासेणं
ओहोवहुवग्गहितं उल्लिंगेऽहं समासेणं (८१६) जिणकप्पथेरकप्पअज्जाणं वेव ओहुदग्गहितं
वोच्छामि समासेणं जहण्णगं मज्झिमुक्कोसं (८१७) पत्तंपत्ताबंधोपायडवणंच पापकेसरिया
पडलाइंस्यत्ताणंच गोच्छओ पायनिजोगो (८१८) तिण्णेवय पच्छागा रयहरणं देव होइ मुहपोती
एसो दुवालसविहो उवही जिनकप्पियाणंतु (८११) उक्कोसिओ उ चउहा मझिमग जहन्नगोऽवि चउहा उ
पच्छादतिगं उग्गहो जिणाण अह होति उक्कोसो (८२०) पडलाणि रयत्ताणं पहरणं पतबंधमझिमगो
गोच्छगं पत्तङ्कवणं मुहनंतग केसरिजहण्णो (८२१) जिनकप्पियाण एसो सेसाण विणिग्गयाण एसेव
येराणं अतिरेगो मत्तो तह चोलपट्टोय (८२२) उक्कोस जहन्नो तू जोच्चिय जिणकप्पियाण सोचेव
मझिमए अतिरेगं मत्तो तह चोलपट्टोय (८२३) एसेव चोदद्सविहो चोलहाणम्मिनवरि कमदंतु
अझाण इमो अन्नो ओहोवहि होति नायब्बी
11८१५॥
11८१६॥
11८१७॥
॥८१८॥
८१९॥
१८२०॥
11८२१॥
11८२२॥
।।८२३॥
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