Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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गाहा-७५२
५५
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॥७५३॥
॥७५४॥
७५५॥
७५६॥
७५७॥
७५८॥
।७५९॥
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(७५२) मुत्तनिरोहे चक्खु यच्चनिरोहे यजीवियं हणति
उड्ढनिरोहे कोढं सुक्कनिरोहे भवे अपुमं (७५३) तेइच्छियधूताए आहारण तत्य होइ कायव्यं
तेइच्छि मते राया पुच्छति पुत्तऽत्यि नत्यित्ति (७५४) नत्यित्ति अस्थिधूया राय वेती अहिजऊ सत्यं
पिउसंतिओय भो तह चेव य तीयऽणुण्णातो (७५५) मच्छरिता विजऽण्णे बेंती किं एस नाहिति वराई
मिससत्यं अहवा से परिच्छिउंदिनअह भोगे (७५६) सद्दावेतुं पुट्ठा किमधीतं तैत्ति तेसिसा पुरतो
तो नाए वातकम्मंसदेण कतं हसे विज्ञा (७५७) तो मणति निवंसा तू एते येझान चेय तु नरिंदा
न यजाणंती सत्थं कहंति बेती इमं सुणसु (७५८) तिष्णि सल्ला महाराय अस्सि देहे पइद्वित्ता
वाउमुत्तपुरीसाणं पत्तवेगं नधारए (७५९) निम्मुहिकता तु वेज्जा तीए साऽविय पतिहिता तहियं
तम्हा न धारऍ वेगं वायातीणं तु सव्वेप्सिं (७६०) एवं भुत्ते समाणे जति वातादी पकोव गच्छेज्जा
जाणेज तेसि वेलं पधूसादी इसंतहियं (७६१) सिंमो यति पचूसे पदोसे पित्तमड्ढरत्तिम्मि
मज्झंतिएय वाओ वड्ढति पव्वावरण्हे य (७६२) तत्थन वेले पुच्छिन्नती तु तेसिं तु वेल स चेव
कुवियाण अवेलाए पेच्छे किरिया इमा तेसिं (७३) तित्तकडुएहिं सिंभ जिणाहि पित्तं कसायमहुरेहि
निद्धण्हेहि य वायं सेसा वाही अणसणाते (७६४) केरिसए कालम्मी आहारो केरिसोतु पुरिसेणं
आहारेयवो खलु तत्थ इमो वण्णितो सोय (७६५) सीते उण्हं पविसेना उण्हे सीयं पवेसए दव्वं
नि लुक्खं पविसेमा लुक्खे निडं पयेसए (७६६) जो वाही निद्धेणं समुद्वितो तस्स लुक्खकिरियाए
लुक्खेण मुट्ठियस्स तु कायव्या निद्धकिरिया तु (७६५) एसो तु लोइओखलु पिंडो तू वण्णओ समासेणं
लोउत्तरिए पिंडे वणिजति पिंडनिझुत्ती (७६4) पिंडे उग्गम उप्पायणेसणाजोयणा पमाणेय
इंगाल धूप कारण अट्टविहा पिंडनिजुत्ती (७६९) पुढवाईया भेदा वत्तव्य जहककमेण पिंडस्स
गविसणमादीयाविय एसणभेदा य तह चेव
७६१॥
११७६२॥
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७६९॥
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