Book Title: Agam 38B Panchkappabhasa Chheysutt 05B
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 46
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गाहा-१०१ 11६०९॥ ||६१०॥ ॥६११॥ ॥६१२NI ॥६१३॥ ॥१४॥ ॥१५॥ ।।६१६॥ ॥६१७॥ (१०२) परिजुण्णेसा मणिता सुविणे देवीऍ पुष्पचूलाए नरगाण सणेण पव्वाऽवस्सए दुत्ता (१०) चतुरो तुगोणपाला सत्या हीणं जतिं तु अडवीए पडिलाभिंति पहट्ठा दोहिंदुगुंछाइयं तहियं (६११) दियलोगगता तत्तो चइतु दुगुछा दसण्णिदासत्तं तत्तो मिगाय हंसा सोयागा चित्तसंभूता (१२) अदुगुंछी तित्थगरं पुच्छति किं सुलभदुलभकोहीऽम्हे तित्यंकराह विग्घं अम्मापितरो करेहिति (११३) तोओहिनाण पासितुमाहणपुत्तत नगरसुसुगारे सो माहणो अपुत्तो पुछति नेमित्तिए बहवे (६४) ते काउ समणरूवं उसुगारपुरम्मि आगता कहए बहुजण तीतादीणि तो पुच्छे माहणोतेउ (६१५) होजऽम्ह किं चऽवच्चं पच्चाह चुया दिया तु होर्हिति दोजमलदारगा तू कुमारगापव्वइस्संति (६१६) मा तेसि करेजासि विग्घमवस्संच तेसि पव्वचा होही वोत्तूण गता चइउं उववनया तेसिं सु (९१७) बालत्तऽमापितरो भणंति समणाण सरिसस्वेणं रक्खस माणुसखागा भमंति दगुण ते पुत्ता (११८) मातेसि अल्लिएजह दूरंदूरेण परिहरिशाह मा भक्खेजा ते भे तेसि वयणं पडिसुणेति (१९) रत्यादि जत्यपासंति संजते ते तओ परलायंति अह अन्नया नगर अहिं चेडे पासंति वंदते (६२०) वितिय अम्मापितरो दिवऽम्हे चेड़ वंदमाणातु नवि समणरूविरक्खस भक्खिति व चेडरूवाई (६२१) चिंतें तऽम्मापितरोअतिवीसत्या इमे हुजायत्ति मा पव्यएस इहति अल्लियमाणा तु समणाणां (५२२) सउवग्झाया एते वइयं निजंतु तत्यऽहिजंतु इय संचिंतेऊणं वइयं नीता ततो तेहिं (५२३) धइयाएँ समीवम्मी मणामिरामो तु अस्थि वडरुक्खो अह अपणदा कदाई ते तुरमंता गतातहियं (६२४) सत्या हीणायजतीतिसियाकलंता तु आगता तहियं एत्य करेमो भिक्खं वडडेट्टापट्टिता तत्तो (१२५) तोते भयाभिभूता चेष्ठ विलगा तमेव बडरुक्खं जतिणोऽविय तस्स हेट्ठा ठातुं पविसंति मिक्खष्ठा (१२९) नवरिपवत्तिति गुरूतहियं अज्झयण नलिणगुम्मंति ता ते सरंति जाति ओयरितुं यंदितुं बिति ॥६१८॥ ॥६१९॥ ||६२०॥ 11६२१॥ ||६२२॥ ||६२३॥ ॥२४॥ ||६२५॥ ॥६२६॥ For Private And Personal Use Only

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